राजस्थान में पुजारियों की हालत ख़स्ता, 700 Rs महीना दिया जा रहा वेतन, खाने के पड़े लाले

धौलपुर- राजस्थान के धौलपुर में देवस्थान विभाग के अधीन मंदिरों के पुजारी और महंतो के सामने अपने परिवार का भरणपोषण करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। मंदिरों में भगवान की पूजा, पाठ और सेवा करने वाले पुजारी व सेवादार अपने परिवार के सदस्यों का भरणपोषण करने के लिए दूसरे रोजगार का सहारा खोजने के लिए इधर उधर भटक रहें हैं।

देवस्थान विभाग के अन्तर्गत आने वाले शहर के शेरगढ़ किले वाले हनुमान जी मंदिर के सेवादार पुजारी दीपक अवस्थी ने बताया कि शेरगढ़ किले की स्थापना राठौर वंशज महाराज मालदेव ने सन् 1532 ईस्वी में करवाई थी, उन्होंने ने ही किले में पश्चिमी मुखी हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना करवाई थी। उसी नाम से यह मंदिर आज पूरे धौलपुर व अन्य जिलों में भी प्रसिद्ध है। पुजारी का कहना है कि महाराज मालदेव जी के समय से ही हमारे पूर्वज हनुमान जी महाराज की सेवा और पूजा-पाठ करते आ रहें हैं।

पुजारियों को मात्र 700 रूपये महीने का अनुदान

पुजारी दीपक अवस्थी ने आगे बताया कि महाराज मालदेव जी के शासन व्यवस्था में परिवार का भरण पोषण अच्छे से हो जाता था। लेकिन वर्तमान समय में अनेकों बदलावों के चलते महंगाई आसमान छूती चली गई, इस विपरीत समय में भी पुजारियों की अनुदान राशि में मामूली सी बढ़ोत्तरी की गई। पुजारी ने बताया कि आज देवस्थान विभाग की ओर से अधीग्रहीत मंदिरों के पुजारी व सेवादारों को मात्र 700 रूपये महीने का अनुदान दिया जा रहा है, जिसका भुगतान लगभग 24 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से किया जाता है।

पुजारी दीपक अवस्थी का कहना है कि उनके परिवार में कुल 5 सदस्य है, जिनमें तीन बच्चें भी शामिल है। मात्र 700 रूपये अनुदान में बच्चों और परिवार का पालन पोषण करना अब मुश्किल हो गया है। इसके बाद अब अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए पुजारियों ने दूसरा रोजगार खोजना शुरू कर दिया है।

धौलपुर में देवस्थान विभाग 7 मंदिर अधिग्रहित है, जिनमें शेरगढ़ किला वाले हनुमान जी, छावनी वाले हनुमान जी, छावनी वाला श्री राम मंदिर, छावनी का गंगा मंदिर, राधा विहारी मंदिर, शिव बगिया और नरसिंह हनुमान मंदिर शामिल हैं। इन सभी मंदिरों के सेवादारों और पुजारियों को देवस्थान विभाग की ओर अनुदान राशि दी जाती है।

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