चंपावत: ब्राह्मण भोजन माता को हटाने के लिए नियमों के विरुद्ध रख ली थी दलित महिला, मीडिया ने चलाई फर्जी खबरें

चम्पावत: उत्तराखंड के चम्पावत जिले (Champawat) में पिछले तीन दिनों से चल रहे भोजन माता विवाद (Upper caste students boycott midday meal cooked by Dalit woman) में मीडिया दलित भोजन माता को रखे जाने पर सवर्ण छात्रों द्वारा खाना न खाने के मुद्दे लगातार उठा रही है. जोकि अपने आप में एक गंभीर मामला है.

पूरे मामले की जानकारी के लिए नियो पॉलिटीको की टीम ने शुरू से मामले को समझा. जिस कड़ी में हमने प्रधानाचार्य, जोकि खुद अनुसूचित जाति से आते है, एसएमसी(विद्यालय प्रबंधन समिति) के सदस्यों, जोकि भोजन माता को नियुक्त करने में अहम रोल अदा करता है, व सवर्ण बच्चों के परिजनों से बातचीत करी.

पहली नियुक्ति को लेकर था विवाद दरअसल दलित भोजन माता को कभी नियुक्त ही नहीं किया गया था. इस बात को प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने खुद स्वीकार्य किया है. प्रेम सिंह ने हमें बताया कि नियुक्ति के लिए सबसे पहले विज्ञप्ति अक्टूबर माह में निकाली गई थी जिसकी अंतिम तिथि 30 अक्टूबर थी.

इस विज्ञप्ति में कुल 11 महिलाओ ने आवेदन किया जिसमे से एक पुष्प भट्ट भी थी. पुष्प भट्ट एक गरीब महिला है जोकि अपने पति से अलग रहकर किसी प्रकार से अपना भरण पोषण करती है. उनका पुत्र हर्षित भट्ट विवादित स्कूल में ही कक्षा 7 में पढता है. पुष्प भट्ट की दयनीय स्थिति को देखते हुए एसएमसी द्वारा उनके चयनित कर लिया गया था. जिन्हे बिना किसी सूचना उनकी जाति के कारण हटा दिया गया.

First advertisement copy

“प्रधानाचार्य ब्राह्मण महिला को नहीं रखना चाहते थे इसलिए निकाल दी दूसरी विज्ञप्ति”
पुष्प भट्ट ने हमें बताया कि प्रधानाचार्य प्रेम सिंह को जैसे पता चला कि SMC ने उन्हें चयनित किया है उन्होंने दूसरी विज्ञप्ति निकाल दी. इस बार उन्होंने विज्ञप्ति में लिखा कि दलित महिला को प्राथमिकता दी जाएगी. विज्ञप्ति की एक कॉपी स्कूल प्रशासन ने नियो पॉलिटीको को उपलब्ध कराई है.

Second advertisement copy

“दलित महिला की नियुक्ति थी अवैध, प्रधानाचार्य ने किया स्वीकार्य”
पुष्प भट्ट को चयनित किये जाने के बावजूद प्रधानाचार्य ने दूसरी विज्ञप्ति निकाल दी. इसमें पुष्प भट्ट को शामिल ही नहीं होने दिया गया. साथ ही बिना SMC की सहमति के सुनीता को बिना नियुक्ति के लिए बुला लिया. जिसको खुद बड़े अफसरों ने नियमो की धज्जिया उड़ाना माना है.

एडी बेसिक अजय नौटियाल, सीईओ आरसी पुरोहित, उपखंड शिक्षा अधिकारी अंशुल बिष्ट ने जांच के बाद माना कि सुनीता की नियुक्ति के लिए नियमो को ताक पर रखा गया है. नियम के अनुसार प्रस्ताव में उपखंड शिक्षाधिकारी व विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) का अनुमोदन नहीं कराया गया। इसपर मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) ने सुनीता की नियुक्ति रद कर दी.

प्रधानाचार्य ने हमसे बातचीत में यह स्वीकार्य किया कि सुनीता की नियुक्ति नहीं हुई थी. साथ ही विवाद नियुक्ति को लेकर था. पुष्प भट्ट गाँव में ही रहती है व किसी तरह जीवन यापन करती है. उनको हटाए जाने पर अभिभावक नाराज थे.

पुष्प भट्ट का झलका दर्द कहा जाति के कारण निकाल दी गई
पहली नियुक्ति SMC की सहमति से होने के बावजूद पुष्प को जाति के कारण बिना बताये प्रधानाचार्य ने निकाल दिया. साथ ही दूसरी विज्ञप्ति में लिख दिया कि एससी महिला को प्राथमिकता दी जाएगी. पुष्प ने हमसे कहा कि अब वह किस तरह अपना गुजारा बसर करेंगी उन्हें भी ही पता.

मीडिया ने बनाया विवाद
अभिभावकों ने कहा कि बिना कुछ जाने मीडिया ने प्रधानाचार्य जोकि स्वयं दलित है उनके कहने पर सवर्णो के खिलाफ खबरें चला दी ताकि पुष्प भट्ट का मामला दब जाये. जबकि प्रधानाचार्य ने दूसरी विज्ञप्ति निकाल कर बिना SMC की सहमति के सुनीता को बुला लिया जोकि नियमों की साफ़ अवहेलना हैं.


आपको अगर हमारी रिपोर्ट पसंद आई तो आप हमें आर्थिक सहयोग दे सकते है। आपके सहयोग से ही यह पोर्टल बिना लाग लपेट के उत्तम रिपोर्ट आपके सामने लाता है।

UPI: NeoPoliticoEditor@okicici

Gpay/Paytm: 8800454121

OR Become a Patron! (Donate via Patreon)

Paypal: https://paypal.me/falanadikhana?locale.x=en_GB…

+ posts

Vivek is an ordinary man who breaks unusual news.

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

MP: मंदिरों में लगातार हो रही चोरी के मामले में पुलिस ने 3 दलित युवकों को किया गिरफ्तार

Next Story

गुजरात की तर्ज पर पंजाब में भी बनेगा ‘सामान्य वर्ग आयोग’, चन्नी कैबिनेट में प्रस्ताव मंजूर

Latest from देश विदेश - क्राइम

भीम आर्मी नेता की सवर्णों को घर में घुसकर मारने की धमकी, कहा 6000 साल का लेंगे बदला, पुलिस बनी रही तमाशबीन

सहारनपुर: पुलिस लाइन देवबंद थाना क्षेत्र के मकबरा गांव में एक ब्राह्मण परिवार पर जानलेवा हमला…