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झूठा रेप केस दर्ज कराने वाली महिला पर जज भड़के, सुना दी सीधे चार साल की सजा

बरेली- उत्तरप्रदेश के बरेली में दुष्कर्म के झूठे केस में एक महिला की झूठी गवाही ने एक निर्दोष युवक को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया, कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान युवक 4 साल 6 महीने 13 दिन तक जेल में रहा। बता दे कि महिला ने युवक पर अपनी 15 वर्षीय नाबालिग बेटी को नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म करने का मुकदमा दर्ज कराया था। वहीं पीड़िता के खुद बयान से मुकरने के बाद युवक को बाइज्जत बरी कर दिया गया है।

इतना ही नहीं कोर्ट को गुमराह करने के आरोप में महिला पर भी मुकदमा चलाया गया। जिसमें अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि जितने दिन निर्दोष युवक ने जेल में गुजारे है, उतने ही दिन दोषी महिला को भी जेल में रहना होगा। इसके अलावा कोर्ट ने दोषी महिला पर 5 लाख 88 हजार 822 रूपये का जुर्माना भी लगाया और जुर्माना न देने की स्थिति में उसे 6 महीने अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

जानिए क्या पूरा मामला?

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुनील पांडे ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि बरादरी इलाके की रहने वाली एक महिला ने 2 दिसंबर 2019 में बरादरी थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया था और आरोप लगाया था कि अजय उर्फ राघव उसकी 15 साल की बेटी को बहला फुसलाकर अपने साथ दिल्ली ले गया, वहां नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद अजय को जेल भेज दिया गया, चूकि मामला कोर्ट में विचाराधीन था। इस दौरान युवक को साढ़े चार साल तक (कुल 1653 दिन) जेल में रहना पड़ा।

Madhya pradesh

अधिवक्ता पांडे ने बताया कि पहले किशोरी ने अपने 164 के बयान में युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया और बाद में अदालत की सुनवाई के दौरान वह अपने बयान से खुद ही मुकर गई और 8 फरवरी 2024 को दिए गए अपने बयान को खुद ही झूठा करार दे दिया। उसने कोर्ट को बताया कि अजय उर्फ राघव ने उसके साथ कोई गलत काम नहीं किया था और न ही उसे अपने साथ दिल्ली लेकर गया था। इसके बाद 8 अप्रैल 2024 को कोर्ट में झूठी गवाही देने वाली महिला के खिलाफ 340 सीआरपीसी के तहत सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया गया।

इसके बाद शनिवार को पूरे मामले की सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया, उन्होंने कहा कि महिला के झूठे बयानों के कारण एक निर्दोष युवक को 1653 दिन सलाखों के पीछे काटने पड़े या फिर उसे अजीवन कारावास भी हो सकता था। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के झूठे बयान देने के मामले में ऐसा दंड दिया जाना चाहिए, कि लोग कानून का दुरूपयोग करने से पहले बार-बार सोचें।

कोर्ट ने कहा निर्दोष होते हुए भी जितने दिन एक युवक को जेल में रहना पड़ा, इतनी ही सजा दोषी महिला को भी मिलनी चाहिए। इसके बाद अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने महिला को भी 1653 दिन की सजा सुनाते हुए 588822 रूपये का जुर्माना भी लगाया। साथ ही जुर्माना न भरने पर 6 महीने अतिरिक्त जेल की सजा सुनाई।

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Kapil reports for Neo Politico Hindi.

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