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अनारक्षित सीटों को भी ST से भरने को लेकर भारी पत्थरबाजी, हाई वे जाम कर चालकों को पीट हुई महिलाओ से छेड़छाड़ व कई वाहन फूंके

राजस्थान: राज्य में सामान्य वर्ग के पदों को भी जनजाति द्वारा भरे जाने को लेकर डूंगरपुर जिले में उग्र प्रदर्शन किया गया। यह आदिवासी सामान्य वर्ग शिक्षक के पदों को भी जनजाति को दिए जाने को लेकर बीते 18 दिनों से धरने पर बैठे थे जोकि अपने आप में हास्यास्पद था।

आदिवासियों के इस आंदोलन को जब मीडिया से लेकर सरकार तक ने नकार दिया तो कुछ युवा नेताओ ने हिंसा के जरिये मामले को प्रकाश में लाने के लिए भीड़ को उकसा दिया। हिंसा के मकसद से डूंगरपुर जिले के कांकरी डूंगरी पहाड़ी से आंदोलन संचालित कर रहे आदिवासी युवा गुरुवार दोपहर महापड़ाव के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ पर उतर आए।

जिसके बाद आंदोलनकारियों ने तांडव मचाना शुरू कर दिया। हाई वे को जाम कर वहां से गुजर रहे वाहन चालकों को उतार उतार कर पीटा गया व महिलाओ से बत्तमीजी भी करी गयी। सुचना मिलने के बाद पुलिस बल मौके पर पंहुचा तो भीड़ का तांडव देख पुलिस कर्मी भी हक्के बक्के रह गए।

आदिवासियों ने पुलिस के कई वाहन भी फूंक डाले व भारी पथराव शुरू कर दिया। भीड़ द्वारा हिंसा की घटना से डूंगरपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गणपति महावर, बिछीवाड़ा थानाधिकारी इंद्रजीत परमार सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। जिनको आनन फानन में अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया गया है।


भीड़ द्वारा हिंसा किये जाने पर पुलिस ने हवाई फायर तथा आंसू गैस के गोले दागकर उन्हें भगाने का प्रयास तो किया लेकिन बावजूद आंदोलनकारी हाइवे पर डटे हुए हैं और रात गहराने के साथ हालात नियंत्रण से बाहर होते जा रहे थे। सूर्यास्त तक आंदोलनकारी बिछीवाड़ार से मोतली मोड़ के बीच करीब बारह किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा जमाए हुए थे।

क्या था मामला
दरअसल 2018 में निकले शिक्षक भर्ती के अनारक्षित 1167 पदों को भी जनजाति वर्ग से भरने की मांग को लेकर बीते 7 सितम्बर से आदिवासी छात्र आंदोलन कर रहे थे। यह छात्र अनारक्षित पदों पर भी कुंडली मारना चाह रहे है जबकि अनारक्षित पदों में आने के लिए यह छात्र अनारक्षित कट ऑफ को पार कर भी उन सीटों पर अपना कब्ज़ा जमा सकते है।

बावजूद इसके इनकी मांग है कि वह सभी शेष सीटें भी आदिवासियों के खाते में डाल दी जाये। जिसको लेकर आदिवासी अभियर्थी आंदोलन कर रहे थे जिन्हे न तो सरकार तवज्जो दे रही थी न ही लोकल प्रशासन।

अभ्यर्थियों को थानाधिकारी बिछीवाड़ा, तहसीलदार बिछीवाड़ा, उपखंड अधिकारी बिछीवाड़ा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डूंगरपुर ने वार्ता कर समझाया। इस पहाड़ी पर अपना पड़ाव ना डालें।

जिला कलेक्टर से अनुमति प्राप्त कर उनके द्वारा निर्देशित स्थान पर कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए अपना धरना प्रदर्शन करें। इसके बाद भी नियमों को ताक में रख कर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।

इस पर बिछीवाड़ा पुलिस ने कोविड की धारा व गैर जमानती धारा में दो अलग अलग मामले दर्ज किए थे। गुरुवार को प्रदर्शनकारी अचानक हाइवे पर उतर आए।


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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem

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