संविधान की प्रतिमा तोड़ने पर हिंसक हुआ प्रदर्शन, अंबेडकरवादियों ने आम लोगों की गाड़ियां तोड़ी, बरसाए पत्थर

मुंबई: महाराष्ट्र के परभणी जिले में संविधान की प्रतिमा तोड़ने की घटना ने हड़कंप मचा दिया। घटना के विरोध में बुलाए गए बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्पात मचाया। वाहनों को आग के हवाले किया गया, सरकारी दफ्तरों में तोड़फोड़ हुई, और रेलवे स्टेशन क्षेत्र में पथराव किया गया। हालात काबू करने के लिए पुलिस को इंटरनेट बंद करना पड़ा और भारी संख्या में बल तैनात करना पड़ा।

संविधान की प्रतिमा को नुकसान: घटना ने क्यों भड़काई आग?

मंगलवार शाम 5 बजे परभणी रेलवे स्टेशन क्षेत्र में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति के पास रखी भारतीय संविधान की प्रतिमा को 45 वर्षीय सोपान पवार ने कथित रूप से नुकसान पहुंचाया। इस घटना से आक्रोशित लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए और “रेल रोको” आंदोलन किया। नांदिग्राम एक्सप्रेस को 30 मिनट तक रोका गया। रेलवे पुलिस ने स्थिति संभाली और ट्रेन को 6:50 बजे रवाना किया।

बंद के दौरान बेकाबू भीड़ ने मचाई तबाही

बुधवार को बंद शुरू में शांतिपूर्ण रहा, लेकिन दोपहर बाद हालात बिगड़ गए। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों और टायरों में आग लगाई और कलेक्टर कार्यालय पर हमला कर दिया। रेलवे स्टेशन क्षेत्र में भी जमकर पथराव हुआ। प्रशासन ने हालात पर काबू पाने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स और दंगा नियंत्रण पुलिस को बुलाया।

आरोपी गिरफ्तार, पुलिस पर लापरवाही के आरोप

पुलिस ने आरोपी सोपान पवार को गिरफ्तार कर लिया और बताया कि वह नशे में था और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है। हालांकि, स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस की आलोचना की। परभणी सांसद संजय जाधव ने कहा, “अगर रात में ही निषेधाज्ञा लागू कर दी जाती, तो यह हिंसा रोकी जा सकती थी।” पुलिस ने दंगा करने के आरोप में 70-80 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

नेताओं और संगठनों ने दिया चेतावनी भरा बयान

वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने इसे “जातिवादी साजिश” करार दिया और प्रशासन को सख्त चेतावनी दी कि सभी दोषियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए। सामाजिक न्याय मंत्री रामदास आठवले ने इसे “देशद्रोह” करार देते हुए कहा, “संविधान का अपमान अक्षम्य है। मैं अंबेडकरवादियों से अपील करता हूं कि वे शांति बनाए रखें।” स्थानीय लोग इस घटना की टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि उसी दिन बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ कथित अत्याचारों के विरोध में परभणी बंद था। हालांकि, जिला मजिस्ट्रेट रघुनाथ गवाड़े ने इसे महज संयोग बताते हुए दोनों घटनाओं को असंबंधित बताया। जांच जारी है।

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