चंडीगढ़: हरियाणा के बाद पंजाब में भी कांग्रेस सरकार स्थानीय युवाओं को नौकरियों में आरक्षण देने के लिए कानून बनाने की तैयारी में है जिसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने दी है।
अखबार ‘द ट्रिब्यून’ को दिए एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री चन्नी ने बेरोजगारी के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि सबसे बड़ा मुद्दा है, पंजाब में पंजाबियों को ही पंजाब की नौकरी मिले। ऐसे नौकरी विज्ञापित कर दें तो 25 प्रतिशत हरियाणा से आ जाते हैं, 15 प्रतिशत हिमाचल से आ जाते हैं और कुछ दिल्ली वाले आ जाते हैं लेकिन पंजाब बालों के लिए जगह ही नहीं बचती।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि मैं एक कानून लेकर आ रहा हूं, जिसकी मैं तैयारी कर रहा हूं और वकीलों से सलाह भी कर रहे हैं। हालांकि हरियाणा ने कानून बनाया है लेकिन मैं एक अच्छा कानून लेकर आऊंगा जिससे लगभग 100% नौकरी जो भी हो पंजाबियों को मिले खासकर सरकारी नौकरी। यह हमारा अगला प्रोग्राम है जिस पर हम काम कर रहे हैं।
हरियाणा में लागू हुआ कानून
इधर हरियाणा की प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय उम्मीदवारों को 75% हिस्सेदारी” देने वाला कानून ‘हरियाणा राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2020’ लागू हो गया है। इस बारे में शनिवार 6 नवम्बर को हरियाणा सरकार की एक गजट अधिसूचना जारी की गई है।
गौरतलब है कि इसी साल मार्च में राज्यपाल ने एक विधेयक को मंजूरी दी थी जिसमें राज्य के लोगों के लिए 50,000 प्रति माह तक सकल वेतन के साथ निजी क्षेत्र की नौकरियों का 75 प्रतिशत है।
इस कानून के प्रभावी होने से राज्य के युवाओं को अब निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा, जिसमें कंपनियां, सोसायटी और ट्रस्ट शामिल हैं।
हरियाणा सरकार द्वारा पिछले साल पेश किया गया यह बिल निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए हरियाणा के मूल निवासियों के लिए ₹ 50,000 प्रति माह तक के वेतन के साथ 75 प्रतिशत नौकरियों को आरक्षित करना अनिवार्य बनाता है।
सरकार को हर महीने पंजीकृत 50,000 तक की कमाई करने वाले सभी कर्मचारियों का विवरण दर्ज करना होगा, सरकार ने कहा था कि ऐसा करने में विफलता के तीन महीने के भीतर कानून बनने पर जुर्माना लगेगा। सरकार ने कहा था कि आरक्षण सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से वांछनीय होगा।