पटना: जीआई प्रमाणित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बिहार से शाही लीची की इस मौसम की पहली खेप आज हवाई मार्ग से ब्रिटेन को निर्यात की गई।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक शाही लीची के निर्यात के लिए पादप-स्वच्छता प्रमाणन पटना में नव स्थापित प्रमाणन सुविधा से जारी किया गया। इस फल को बिहार स्थित मुजफ्फरपुर के किसानों से प्राप्त किया गया और सिरा इंटप्राइजेज इसका निर्यात कर रहा है। वहीं लीची का आयात लंदन के एचएंडजे वेज कर रहा है।
शाही लीची के निर्यात की सुविधा के लिए एपीडा ने बिहार के कृषि विभाग सहित किसानों, निर्यातकों और आयातकों जैसे अन्य हितधारकों के साथ सहभागिता के साथ की है। शाही लीची के निर्यात के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम. अंगमुथु और बिहार के कृषि विभाग के मुख्य सचिव एन. सरवण कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
लीची के जीवन की अवधि कम होने के चलते प्रसंस्कृत और मूल्य-वर्धित उत्पादों के लिए निर्यात के अवसरों का पता लगाने की जरूरत है।
जरदालू आम, कतरनी चावल और मगही पान के बाद साल 2018 में जीआई प्रमाणन प्राप्त करने वाला शाही लीची बिहार से चौथा कृषि उत्पाद था। शाही लीची के लिए जीआई पंजीकरण मुजफ्फरपुर स्थित लीची ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ बिहार को दिया गया।
बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, चंपारण, बेगूसराय जिले और आसपास के क्षेत्रों में शाही लीची की बागवानी के लिए अनुकूल जलवायु है।
चीन के बाद भारत विश्व में लीची का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। लीची का पारदर्शी, स्वादिष्ट बीजचोल या खाने योग्य गुदा भारत में एक टेबल फ्रूट के रूप में लोकप्रिय है। वहीं चीन और जापान में इसे सूखे या डिब्बाबंद रूप में पसंद किया जाता है। बिहार लीची के उत्पादन मामले में अव्वल है।
राज्य कृषि-निर्यात योजना तैयार करने में एपीडा, बिहार सरकार को सुविधा प्रदान कर रहा है, जो राज्य से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रोड-मैप प्रदान करेगा। राज्य कृषि-निर्यात योजना को अंतिम रूप देने के बाद मखाना, आम, लीची और अन्य फलों एवं सब्जियों की निर्यात क्षमता का उपयोग किया जा सकता है।
बिहार सरकार, एपीडा और अन्य एजेंसियों के सहयोग से सीमा शुल्क निकासी सुविधा, प्रयोगशाला परीक्षण सुविधा, पैक-हाउस और प्री-कूलिंग सुविधाएं, जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए प्रयास कर रही है, जो राज्य की कृषि निर्यात क्षमता का उपयोग करेगा और इसे बढ़ावा देगा।