जिसे देखने का जिगरा नहीं, उसमें सियासत और इंसानियत

यमन : मध्यपूर्व एशिया में बसा यमन देश एक पहाड़ी देश है, 2 करोड़ की आबादी वाले इस देश की राजधानी साना है | देश में मुस्लिमों की अधिकतम आबादी के कारण यह इस्लामिक देश है | लेकिन यह देश मनुष्यों द्वारा बनाई गई मानव जनित आपदा के कारण खबरों में रहता है अब हालात यह हैं कि लाखों लोगों पर कुपोषण का पहाड़ टूट रहा है |

मना करने पर भी छापी गई मासूम की दर्दे बयां करती तस्वीर :

अमेरिकी समाचर “दा न्यूयार्क टाइम्स” में 7 दिसंबर को छपी इस खबर के पीछे कई बातें हुई थीं | आपको बता दें कि हमारी न्यूज में दिखाई गयी फोटो टाइम्स के पत्रकार टेलर हिब्स ने यमन में ही जाकर ली है हालांकि दुनिया के कुछ ही पत्रकारों को वहां जाने की अनुमति दी गई है |

भीषण कुपोषण का शिकार यमन की 8 साल की अमल हुसैन कुछ दिन पहले ही दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं और अपने पीछे छोंड़ गई कई चुभने वाले प्रश्न ?

इस फोटो को छापने के पहले टाइम्स समूह नें पत्रकार से फोटो को देखकर तर्क दिया था कि ” हम ऐसी भयानक तस्वीर दुनिया को नहीं दिखा सकते हैं ” | उत्तर में पत्रकार ने कहा कि ” मैं पत्रकार हूं. दुनिया को सच्चाई बताना ही तो मेरा काम है ” |

हालांकि बाद में यह फोटो खबर के साथ छपी |

3/4 आबादी का क्या होगा किसी को पता नहीं ?

2011 से जारी यमन संकट अब वहां के लोगों के लिए अंधेरा ही अंधेरा दिखा रहा है | यूएन नें इसे पहले ही ” मौजूदा दौर का सबसे खतरनाक मानव जनित आपदा ” करार किया है | यहां की 3/4 आबादी यानी लगभग 20 लाख लोग भीषण कुपोषण का शिकार हो चुके हैं और उन्हें सख्त मदद की जरूरत है |

यमन में पड़ोसी देश साउदी अरब समर्थित सेना द्वारा किए गए हवाई हमलों से यहां के लोगों की जिंदगी अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है | यहां देश के अंदर ही मुस्लिमों के 2 समुदायों शिया और सुन्नी के बीच आपसी संघर्ष संघर्ष चल रहा है जिसे बाहर के कई देश अपने हथियारों सहित सैन्य मदद दे रहे हैं |

संघर्ष के बीच उन पुलों को भी निशाना बनाया गया जहां से खानापूर्ति हो सकती है इसके अलावा घर व इमारतें भी जमीदोज हो चुकी हैं | लेकिन इसी बीच मासूम को खो चुकी (अमल हुसैन की मां) कहती हैं ” मेरा दिल फट चुका है ” !

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