नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अल्पसंख्यक संस्थाओं में धार्मिक आरक्षण पर सवाल खड़े किए हैं।
देश के जाने माने राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अल्पसंख्यक संस्थान में आरक्षण पर सवाल उठाया है। इसके लिए स्वामी ने देश की नाम चीन दिल्ली विश्वविद्यालय के ईसाई अल्पसंख्यक कॉलेज का उदाहरण दिया है।
उन्होंने इन अल्पसंख्यक संस्थाओं में सरकारी वित्त के बाद खास वर्ग को ही प्राथमिकता देने पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। स्वामी ने एक बयान में कहा कि “कितने युवा लोग सोचते हैं कि यह उचित है कि सेंट स्टीफन कॉलेज को 95% वित्त सरकार से मिलता है, लेकिन 50% सीटें ईसाईयों के लिए आरक्षित हैं ? या मुझे नंबर गलत मिले हैं ?”
How many young persons think it is fair that St Stephen’s College gets 95% of its finance from Govt but reserves 50% of the seats for Christians? Or have I got the numbers wrong?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) August 1, 2020
सेंट स्टीफेन को अल्पसंख्यक संस्थान का है दर्जा:
गौरतलब है कि दिल्ली विश्विद्यालय के अंतर्गत आने वाले इस हाई प्रोफाइल कॉलेज को माइनॉरिटी कॉलेज होने के नाते, सेंट स्टीफंस की अपनी प्रवेश प्रक्रिया में 50 प्रतिशत से अधिक सीटें ईसाई छात्रों के लिए आरक्षित होती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में कई अल्पसंख्यक कॉलेज:
दिल्ली यूनिवर्सिटी के तहत चलने वाले सेंट स्टीफन कॉलेज, ही नहीं बल्कि दयाल सिंह कॉलेज, खालसा कॉलेज और माता सुंदरी कॉलेज भी अल्पसंख्यक संस्थान है।
हजारों की संख्या में देश में अल्पसंख्यक संस्था:
इसके अलावा डीम्ड यूनिवर्सिटी जामिया हमदर्द जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसे कई अल्पसंख्यक संस्थान हैं। देश में वैसे तो हजारों की तादाद में अल्पसंख्यक संस्थान हैं लेकिन सिर्फ नेशनल कमिशन फॉर माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के जरिए घोषित किए गए संस्थान ही 13,658 की बड़ी तादाद में हैं। जिनमें 9 यूनिवर्सिटी भी शामिल हैं, इन यूनिवर्सिटीज में ही 6 केंद्रीय व राज्य यूनिवर्सिटीज हैं। जबकि तीन डीम्ड यूनिवर्सिटी भी अल्पसंख्यक संस्थान है। रामपुर की जोहर यूनिवर्सिटी के अलावा केरल के कई हजार अल्पसंख्यक संस्थान देश में अल्पसंख्यकों को 50 फीसदी आरक्षण देकर शैक्षिक बनाने में लगे हुए हैं।
दलित पिछड़ों के लिए आरक्षण नहीं:
जबकि इन संस्थानों के अलावा भी राज्यों से मान्यता प्राप्त बहुत से अल्पसंख्यक संस्थान हैं। खास बात यह है कि इन संस्थानों में SC/ST/OBC जातियों को आरक्षण नहीं मिलता। यह तमाम संस्थान अपने अपने समुदाय को 50 फीसदी आरक्षण देते हैं जबकि 50 प्रतिशत जनरल कोटा होता है जिसमें कोई भी दाखिला ले सकता है।
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