नई दिल्ली: पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने धर्मांतरण को रोकने के लिए एक कानून की माँग की है।
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री व भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने धोखाधड़ी से धर्मांतरण को लेकर एक कानून बनाने की माँग की है।
कपिल ने कहा कि “हिन्दू रीति रिवाजों, मूर्तियों, ग्रंथो की कॉपी करके धोखे से धर्मपरिवर्तन करवाना एक अपराध होना चाहिए।”
आगे उन्होंने कहा कि “आइये मिलकर एक हिन्दू बौद्धिक संपदा कानून ड्राफ़्ट किया जाए।”
Yes, Hindu IP law is needed,
Lets draft it togetherहिन्दू रीति रिवाजों, मूर्तियों, ग्रंथो की कॉपी करके धोखे से धर्मपरिवर्तन करवाना एक अपराध होना चाहिए
आइये मिलकर एक HINDU IP Law ड्राफ़्ट किया जाए https://t.co/GSboOAM1vz
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) August 14, 2020
क्या है बौद्धिक संपदा:
व्यक्तियों को उनके बौद्धिक सृजन के परिप्रेक्ष्य में प्रदान किये जाने वाले अधिकार ही बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाते हैं। वस्तुतः ऐसा समझा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का बौद्धिक सृजन (जैसे साहित्यिक कृति की रचना, शोध, आविष्कार आदि) करता है तो सर्वप्रथम इस पर उसी व्यक्ति का अनन्य अधिकार होना चाहिये। चूँकि यह अधिकार बौद्धिक सृजन के लिये ही दिया जाता है, अतः इसे बौद्धिक संपदा अधिकार की संज्ञा दी जाती है।
भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1911 में भारतीय पेटेंट और डिज़ाइन अधिनियम बनाया गया था। पुनः स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1970 में पेटेंट अधिनियम बना और इसे वर्ष 1972 से लागू किया गया। इस अधिनियम में पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2002 और पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2005 द्वारा संशोधन किये गए।
12 मई, 2016 को भारत सरकार ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को मंज़ूरी दी थी। इस अधिकार नीति के जरिये भारत में बौद्धिक संपदा को संरक्षण और प्रोत्साहन दिया जाता है।
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