लखनऊ: संभल जिले से ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस को भी चौंका दिया। जिले के दलित बीजेपी नेता और अनुसूचित जाति मोर्चा के नगर अध्यक्ष प्रेमपाल ने खुद पर हमले की साजिश रचकर अपने पड़ोसियों को फंसा दिया। पहले पुलिस ने बिना पूरी जांच के तीन निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लेकिन मामला तब खुला जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तक यह खबर पहुंची। इसके बाद सच्चाई का खुलासा हुआ कि खुद प्रेमपाल ही इस साजिश का मास्टरमाइंड था।
जल्दबाजी में पुलिस से हुई बड़ी चूक
29 जुलाई को प्रेमपाल ने पुलिस को बताया कि मोहल्ले के कुछ लोगों ने उसे गोली मार दी है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रेमपाल को अस्पताल भेजा और मोहल्ले के तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जिनमें दो भाई भी शामिल थे। पुलिस ने दावा किया था कि इन लोगों ने तमंचे और डंडों से हमला किया था। लेकिन असलियत कुछ और ही थी।
डिप्टी सीएम के हस्तक्षेप से सामने आई सच्चाई
गिरफ्तार लोगों की मां लगातार पुलिस से कहती रही कि उसके बेटे निर्दोष हैं, लेकिन पुलिस ने उसकी बातों को नजरअंदाज कर दिया। महिला ने आखिरकार डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मदद की गुहार लगाई। इसके बाद पुलिस ने दोबारा जांच की और पाया कि असल साजिशकर्ता खुद बीजेपी नेता प्रेमपाल ही था। उसने अपने कंधे में चीरा लगवाकर खुद ही गोली मारी थी और इसका आरोप मोहल्ले के निर्दोष लोगों पर डाल दिया।
बीजेपी नेता और उसके साथियों की गिरफ्तारी
जांच के बाद पुलिस ने प्रेमपाल और उसके तीन साथियों को गिरफ्तार कर लिया है। पहले जिन निर्दोषों को गिरफ्तार किया गया था, उन्हें अब जेल से रिहा कर दिया गया है। इस घटना से पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस मामले की गहराई से जांच की जाए, तो कई पुलिस अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ सकती है। पुलिस ने जिन निर्दोषों से तमंचा और डंडा बरामद किया था, उन सबूतों की सत्यता पर भी सवाल उठने लगे हैं।