डूंगरपुर (राजस्थान): आरक्षण को लेकर हुई हिंसा पर सैकड़ों करोड़ का नुकसान हुआ है।
राजस्थान में शिक्षक भर्ती के 1167 अनारक्षित पद एसटी वर्ग से भरने को लेकर डूंगरपुर-खेरवाड़ा में हुई हिंसा को लेकर अब नए खुलासे सामने आ रहे हैं।
BTP की मांगें:
एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा अचानक नहीं हुई बल्कि इसकी तैयारियां पहले से थीं जहाँ 18 जुलाई को लिखी गई थी अराजकता की तहरीर! डूंगरपुर उपद्रव के पीछे सबसे बड़ी वजह या जिसके लिए आदिवासी एकजुट हुए वो कारण था, शिक्षक भर्ती के अनारक्षित 1167 पदों को एसटी वर्ग से भरने की मांग। लंबे समय से इस मांग को जल्द पूरा होने का आदिवासी समुदाय और खासतौर पर आदिवासी इलाके में एसटी वर्ग की आवाज बनकर हाल ही उभरी भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) को इंतजार था। लेकिन जब कांग्रेस सरकार संकट के दौर से गुजर रही थी तक बीटीपी ने इस मांग को भुनाने का सबसे बेहतर मौका समझा। पूर्ण बहुमत का दावा करने वाली मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी बीटीपी के दो विधायकों का साथ डूबते को तिनके का सहारा लगा। और यही कारण था कि बीटीपी की हर बात मानने का तैयार हो गये।
उधर, बीटीपी ने भी 18 जुलाई को गहलोत को समर्थन की घोषणा कर दी लेकिन साथ ही उनसे अपनी 17 मांगों पर सहमति भी ले ली। चूंकि सरकार तब संकट के दौर से गुजर रही थी तो मौखिक तौर पर ही सही बीटीपी की मांग पत्र को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया। इस मांग पत्र की पहली शर्त थी- ‘शिक्षक भर्ती की 1167 सीटें एसटी से अविलम्ब भरी जाये।’
सीएम गहलोत को 17 सूत्री मांग पत्र सौंपे 2 महीने गुजर जाने के बाद भी जब आरक्षण की मांग पूरी नहीं हुई, जो बीटीपी को भी अंदरखाने नागवार गुजर रहा था। गहलोत सरकार तो बच गई लेकिन एसटी वर्ग को नौकरी में मांगा गया आरक्षण नहीं मिला।
@BtpRajsthan द्वारा जो मांगे की गई है उसपर @ashokgehlot51 जी ने मांगो को पूर्ण करने का वादा किया है
जिसपर दोनो विधायको ने सरकार को समर्थन दिया है pic.twitter.com/JnbEN0ZL8o— Chhotubhai Vasava (@Chhotu_Vasava) July 18, 2020
आंदोलन के पीछे बीटीपी का हाथ:
डूंगरपुर जिले के बीजेपी प्रभारी डॉ. जिनेन्द्र शास्त्री इस आंदालन में शुरुआती तौर पर बीटीपी को ही जिम्मेदार बताते हैं। उनका कहना है कि बीटीपी ने ही इस आंदोलन का नेतृत्व किया लेकिन जब भीड़ उग्र हुई तो और पूरा मूवमेंट उनके हाथ से निकलने लगा पीछे हट गये। इस मसले पर यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा ने कहा है कि आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों को समझा लिया था लेकिन बाहर से आये नेताओं ने आंदोलन को हाईजैक कर लिया।
होटलों और गाड़ियों को सबसे ज्यादा नुकसान:
इस हिंसा को लेकर एक आंकलन की मानें तो 250 करोड़ का नुकसान हुआ है। इसमें से कुछ हैं: अतिथि पैलेस होटल – 2.50 करोड़ रुपए, मारुति होटल – 2 करोड़ रुपए, नीलगगन होटल – पौने दो करोड़ रुपए, ग्रीनलैंड होटल को भारी नुकसान, जलाई गई गाडियों की कींमत 8 से 10 करोड़, श्रीनाथ कॉलोनी में तोड़फोड़ व लूटपाट से एक करोड़ रुपए का नुकसान, पेट्राेल पंप पर लूटपाट से 40 लाख रुपए का नुकसान, शराब ठेके पर लूटपाट से 30 लाख का नुकसान, खेरवाड़ा में लाखों रुपए का नुकसान, वाहनों को रास्ते में रोक कर सोने चांदी व नकदी की लूटपाट, वाहनों में भरे सामान भी करोड़ों रुपए का होना बताया जा रहा है।
पचासों उपद्रवी गिरफ्तार हुए:
प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में हुई हिंसा मामले में पुलिस ने अब तक 35 मामले दर्ज किये गये हैं। हाईवे हिंसा को लेकर ये सभी माले डूंगरपुर सदर और बिछीवाड़ा थाने में दर्ज किये गये हैं। उपद्रव फैलाने के 55 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है। और अब भी अन्य फरार उपद्रवियों की तलाश में पुलिस टीमें दबिश दे रही हैं। पुलिस की इस कार्रवाई में उपद्रवियों से लूट का वो सामान भी जब्त कर लिया गया है जो नेशनल हाईवे-8 के एक घर से लूटा गया था।
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