नईदिल्ली: हाथरस कांड में भीम आर्मी का नार्को टेस्ट वाला दावा फ़र्जी निकल गया है।
हाथरस कांड में आ रही नई नई परतों के बीच सरकार ने SIT द्वारा कराई जा रही जांच में नार्को टेस्ट कराने के आदेश दिए थे। हालांकि अब इस टेस्ट से मामले में पीड़िता के परिवार ने मना कर दिया। वहीं टेस्ट पर स्टे लेने के लिए आज कांग्रेस समर्थक व RTI एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।
दूसरी ओर इस मामले को मुद्दा बनाने वाली भीम आर्मी ने भी नार्को टेस्ट का विरोध किया है। दलित संगठन के मुखिया चंद्रशेखर रावण ने बयान में दावा किया कि देश में कभी पीड़ित परिवार का नार्को टेस्ट नहीं हुआ।
भीम आर्मी का दावा:
चंद्रशेखर का पूरा बयान था “यूपी सरकार ने पहले फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार की फिर जब हमने सफदरजंग हॉस्पिटल में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाने की मांग की तो आनन फानन में बॉडी को कचरे की तरह जला दिया। देश मे पहली बार पीड़ित परिवार का होगा नार्को टेस्ट, मुझे शक है कल पीड़ित परिवार को हो दोषी बना देगी सरकार।”
यूपी सरकार ने पहले फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार की फिर जब हमने सफदरजंग हॉस्पिटल में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाने की मांग की तो आनन फानन में बॉडी को कचरे की तरह जला दिया। देश मे पहली बार पीड़ित परिवार का होगा नार्को टेस्ट, मुझे शक है कल पीड़ित परिवार को हो दोषी बना देगी सरकार।
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) October 3, 2020
नार्को टेस्ट के इतिहास की सच्चाई:
फ़लाना दिखाना की टीम ने इस दावे की पोल खोल दावा को पूरी तरह फ़र्जी पाया है। क्योंकि अप्रैल 2018 में अहमदाबाद केे महानगरपालिका के स्कूल की एक सात वर्षीय छात्रा के दुष्कर्म मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़िता के माता-पिता व दादी का नारको, लाई डिटेक्टर व ब्रेन मेपिंग टेस्ट कराने का आदेश दिया था।
फ़र्जी दुष्कर्म केस में मिली थी जमानत:
दुष्कर्म आरोपित शिक्षक के सभी टेस्ट नॉर्मल आने के बाद अदालत ने पीड़ित परिवार के उपर्युक्त टेस्ट कराने के यह आदेश दिया था ताकि शिकायत की सच्चाई पता लगाई जा सके। न्यायाधीश पारडीवाला ने आरोपित को जमानत देते हुए यह भी कहा था कि इस तरह के आरोप से व्यक्ति और उसके परिवार को होने वाले नुकसान की भरपाई करना मुश्किल है।
क्या था अहमदाबाद का केस:
अहमदाबाद के शाहपुर इलाके की स्कूली छात्रा के माता-पिता ने सितंबर 2017 में उसके साथ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपित शिक्षक को पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। आरोपित के नारको व ब्रेन मेपिंग टेस्ट कराए गए जिसमें उसने छात्रा के साथ दुष्कर्म की बात कुबूल नहीं की, जबकि लाई डिटेक्टर टेस्ट का नतीजा नहीं निकल सका।
जांच से जुड़ी एक महिला कांस्टेबल का कहना है कि पीड़िता को उसके परिजन जो बताते हैं वह अपने बयान में वहीं सब दोहराती है। उम्र बहुत कम होने के कारण कानून उसका नारको, लाई डिटेक्टर व ब्रेन मेपिंग टेस्ट नहीं हो सकता। उधर, आरोपित शिक्षक का कहना है कि छात्रा के प्रवेश के दौरान उसके परिजनों से विवाद हो गया था जिसका बदला लेने के लिए यह शिकायत की गई थी।
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