दशहरा में मोदी का पुतला जलाने वाले किसान नहीं, शाहीन बाग़ में CAA व 370 का विरोध करने वाला किसान संगठन है

चंडीगढ़: कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 25 दिन से लगातार संघर्ष कर रहे किसानों ने दशहरे का त्योहार भी रोष दिवस के तौर पर मनाते हुए जिले भर में विभिन्न जगहों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूजिपतियों, कारपोरेट घरानों, भाजपा नेताओं के विशाल पुतले जलाए गए।

बार कोरोना महामारी के कारण बेशक दशहरे मेले के आयोजन की मंजूरी प्रशासन की ओर से नहीं दी गई, लेकिन उन्हीं जगहों पर किसानों ने नरेंद्र मोदी सहित अन्य पुतले जलाए, जहां हर वर्ष दशहरा मेला लगाया जाता था।

भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के ब्लाक प्रधान गोबिंदर सिंह मंगवाल ने बताया कि उनकी यूनियन द्वारा फैसला लिया गया था कि इस बार रावण की जगह मोदी व अमित शाह के पुतले बना कर फूंके जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पंजाब का माहौल खराब करने पर तुली है।

इस खबर को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अखबार की कटिंग के साथ ट्वीट किया। लेकिन हमारी टीम ने इस किसान संगठन की हकीकत जाननी शुरू की तो बड़ा चौकाने वाला मसला मिला। 

शाहीन बाग में CAA विरोधी धरना:

आपने जनवरी फरवरी के दौरान सुना होगा कि किसान नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं लेकिन वो मूल किसान नहीं थे राजनीतिक सह पर चलने वाला किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां था। वहीं फरवरी को आयोजित नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA)के विरोध में मुस्लिम समुदाय के हजारों किसानों और महिलाओं ने भारतीय किसान यूनियन (BKU) (एकता उग्रन) के बैनर तले चंडीगढ़ सहित शाहीन बाग़ में बड़े विरोध प्रदर्शन किए थे।

सितंबर 2019 में धारा 370 का विरोध:

ये किसान संगठन पंजाब के आसपास सक्रिय रहता है। जब अगस्त 2019 में धारा 370 हटा दी गई थी तब यही संगठन ने अनुमति देने और जम्मू-कश्मीर में स्थिति को लेकर चंडीगढ़ में विरोध मार्च करने के लिए, सितंबर में भारती किसान यूनियन (उग्राहां) के बैनर तले 13 संगठनों ने 14 जिलों में धरना प्रदर्शन किया था, जिससे राज्य की राजधानी के लिए विभिन्न राजमार्ग अवरुद्ध हो गए थे।

इसकी अगुवाई में संगठनों ने संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र के फैसले पर अगले महीने की शुरुआत में राज्य भर में कई जिला-स्तरीय विरोध प्रदर्शन किए थे, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था। 

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