प्रेम बिहारी नारायण जन्मदिन विशेष: सविधान के असली हक़दार जिन्हे इतिहास निगल गया

भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान जिसे हम हमेशा डॉक्टर भीमराव आंबेडकर से जोड़ कर देखते हैं और सारा श्रेय ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ बी आर आंबेडकर को देते हैं। मगर बहुत कम लोगों को मालूम है कि संविधान को लिखने वाले शख्स प्रेम बिहारी नारायण रायजादा जी है जिन्हें गुमनामी के अंधेरे में रखा गया और सारा श्रेय बी आर अंबेडकर को दे दिया गया।

लेकिन आज हम आपको प्रेम बिहारी नारायण रायजादा के जन्मदिन विशेष में उस हक़ीक़त से रूबरू कराएंगे जिसे भारत में हमेशा गुमनाम रखा गया। 17 दिसंबर 1901को दिल्ली में जन्मे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा के पिताजी कैलीग्राफर/सुलेखक थे जिसका असर प्रेम बिहारी नारायण रायजादा पर भी हुआ। प्रेम बिहारी ने बचपन में ही अपने माता पिता को खो दिया जिसके बाद उनका लालन पोषण उनके दादा मास्टर रामप्रसाद सक्सेना और चाचा चतुर बिहारी नारायण सक्सेना ने किया।

उनके दादाजी पारसी और अंग्रेजी भाषा के स्कॉलर थे। रायजादा ने भी कैलीग्राफी अपने दादाजी से सीखी थी।दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद प्रेम बिहारी जी कैलीग्राफी आर्ट में मास्टर हो गए थे। इसलिए जब भारतीय संविधान बनकर प्रिंट होने के लिए तैयार था तो पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रायजादा से संविधान को फ्लोटिंग इटैलिक स्टाइल में लिखने की गुजारिश की।

नेहरू ने उनसे पूछा कि इस काम के लिए आप कितना पैसा लेंगे तो रायजादा का जवाब था “एक भी पैसा नहीं।मेरे पास भगवान का दिया सब कुछ है लेकिन मेरी एक शर्त है कि संविधान के हर एक पन्ने पर मेरा नाम और आखिरी पन्ने पर मेरे दादाजी का नाम लिखूंगा”

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनकी इस शर्त को मान लिया और उन्हें संविधान की फ्लोटिंग इटैलिक स्टाइल में लिखने के लिए सौंप दिया। उन्हें संविधान हाल में कमरा दिया गया। संविधान में कुल 395 आर्टिकल, 22 भाग और 8 अनुसूचियों के साथ प्रस्तावना थी जिसे लिखने में रायजादा को 6 महीने लगे।

इस पूरी प्रक्रिया में उन्होंने 432 पेन होल्डर निब्स का इस्तेमाल किया। उन्होंने कैलीग्राफी के लिए 303 नंबर की नीब का इस्तेमाल किया जिसे लकड़ी के होल्डर में लगाकर और फिर स्याही मे डुबोकर लिखने में इस्तेमाल किया गया। 251 पन्नों के संविधान को हाथ से लिखने के बावजूद एक भी गलती या असंगति नहीं मिलना ये अपने आप में प्रेम बिहारी नारायण रायजादा के उत्कृष्ट लेखनी का सर्वोत्तम प्रमाण है।

प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने संविधान जिस कॉपी पर लिखा वो 16X 22 पार्चमेण्ट कागज की बनी थी जिसका जीवन का लगभग 1000 वर्ष का होता है। इस पूरे कॉपी में 251 पन्ने थे जिसका वजन 3.75 किलोग्राम था।

देहरादून में सर्वे ऑफ इंडिया के कार्यालय में संविधान की हस्ताक्षरित मैनुस्क्रीप्ट को फोटोलिथोग्रफिक तकनीक से प्रकाशित किया गया। हालांकि हैरानी की बात यह है कि संविधान के प्रस्तावना की तरह, मोर डिजाइन और लेखन के साथ वितरित नहीं किया गया जिससे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को लोगों के बीच प्रचलित नहीं किया जा सका।

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