जयपुर: राजस्थान में एक सरकारी कर्मचारी को उसके अफसर के भ्रष्टाचार की शिकायत करना इतना महंगा पड़ गया है कि वह अब आत्मदाह को विवश हो गया है। घटना राजस्थान के श्री गंगानगर इलाके की है जहां एक पशु चिकित्सा सहायक को संभागीय अतिरिक्त निदेशक पशुपालन विभाग डॉ रामप्रकाश नायक के भ्रष्टाचार की शिकायत करने के एवज में एससी एसटी एक्ट के तहत आरोपी बनाया गया है।
जिसके बाद एससी एसटी एक्ट में आरोपी बनाये गए विजय कुमार शर्मा को 28 दिन जेल में भी रहना पड़ा था। वहीं 65 वर्षीय विजय शर्मा अब एससी एसटी एक्ट से परेशान होने के बाद आत्मदाह को मजबूर हो गए है। जिसके लिए उन्होंने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का मौका चुना है ताकि देश भर में एससी एसटी एक्ट के दुष्परिणाम को वह अपनी आहुति देकर दिखा पाए।
विजय शर्मा के मुताबिक वह लगातार डॉ रामप्रकाश के भ्रष्टाचारों की शिकायत सरकार से कर रहे थे। जिसके बाद उन्हें कई बार डॉ रामप्रकाश की ओर से धमकियां भी दी गई थी। वहीं बाद में उन्होंने विजय शर्मा को एससी एसटी एक्ट में यह कह कर आरोपी बना दिया कि उन्होंने जाति की वजह से बार बार डॉ रामप्रकाश की शिकायत करी है।
जिसके चलते विजय शर्मा जी को समय से पहले ही इस्तीफा भी देना पड़ गया व अब दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है। विजय शर्मा ने हमें बताया कि सच की आवाज उठाने के बाद हुई जेल ने उन्हें तोड़ कर रख दिया है। कोर्ट के चक्कर काटते काटते वह अब थक गए है। उम्र भी अब 65 वर्ष हो चली है उसके बावजूद एससी एसटी एक्ट में झूठे जेल भेजे गए थे। अभी जमानत पर बाहर चल रहे है।
कहा कई जगह गुहार लगाने के बाद भी नहीं हुई सुनवाई, आत्मदाह ही मिटा सकता है कष्ट
विजय शर्मा जी ने हमें बातचीत में बताया कि वह सभी अफसरों के द्वार जा चुके है। इसी के साथ राष्ट्रपति कोविंद जी व राज्यपाल से भी मिल चुके है लेकिन नतीजा निफर ही रहा है। जिसके बाद वृद्ध शरीर में अब झूठे मुक़दमे व जेल जाने की शक्ति नहीं है। आत्मदाह कर लोगो को सन्देश देंगे कि किस तरह आम लोगो की ज़िन्दगी को दलित उत्पीड़न का फर्जी मुकदमा बर्बाद कर रहा है। वहीं इसी के साथ वह अपने कष्टों से मुक्ति भी पा लेंगे। बात करते हुए कई बार विजय शर्मा भावुक भी दिखे जिन्हे सच की लड़ाई में एक दलित अफसर ने कुचल कर रख दिया।
मरना पसंद लेकिन भ्रष्टाचार नहीं
अपने ऊपर कायम हुए एससी एसटी एक्ट की कॉपी दिखाते हुए विजय शर्म ने बताया कि उन्हें कभी इस बात का गम नहीं है कि उन्होंने कार्यालय में चल रहे घोटाले को उजागर करने की हिमायत करी। उनपर एससी एसटी एक्ट का कारण भी दलित अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार ही बनाया गया है। उन्हें बस इस बात का कष्ट है कि आज कोई भी नेता इस एक्ट के हो रहे दुरूपयोग को उठाने का साहस नहीं कर रहा है। जिसके चलते वह आत्मदाह को मजबूर हो चुके है।
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