Credit: Economic Times
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समुदाय विशेष के झंडे लहराए जाने के खिलाफ BKU व मजदुर संगठन ने छोड़ा आंदोलन, भारी तादाद में किसान वापस लौटे

नई दिल्ली: 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किला और पूरी दिल्ली में जिस तरह से दंगे हुए, उसके बाद से दिल्ली पुलिस सक्रिय हो गई है और कार्रवाई कर रही है। दिल्ली पुलिस द्वारा अब तक 37 किसान नेताओं पर एफ आई आर दर्ज कर 200 अराजक लोगों को हिरासत में ले लिया गया है। इन लोगों पर हिंसा करने और दंगे भड़काने का आरोप है।

पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन ने खुद को आंदोलन से अलग करने की घोषणा कर दी। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी एम सिंह ने कहा कि वह इस आंदोलन से खुद को अलग कर रहे हैं। 26 जनवरी को जिस तरह से लाल किले पर एक विशेष समुदाय के झंडे को फहराया गया उसके बाद देशभर के लोगों में काफी आक्रोश है।

भारतीय मजदूर किसान संगठन के प्रमुख वी एम सिंह ने कहा

गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी में जो हुआ इन सब में सरकार की भी गलती है जब कोई 11:00 बजे की जगह 8:00 बजे निकल रहा है तो सरकार क्या कर रही थी? जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों की करोड़ों रुपए देने की बात की थी तब सरकार कहां थी? वीएम सिंह ने कहा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कृषि कानूनो के विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते जिस की दिशा कुछ और हो। इसलिए वे उन्हें शुभकामनाएं देते हैं और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस विरोध को तुरंत वापस ले रही है।

इसी क्रम में हरियाणा में भी सड़क को आंदोलन स्थल बना कर दिए जा रहे लगातार धरने के कारण आसपास के लोग आंदोलनकारियों से नाराज हो रहे हैं लिहाजा रेवाड़ी जिले में 15 गांवों की महापंचायत आयोजित की गई। जिसमें प्रदर्शनकारियों को 24 घंटे में प्रदर्शन स्थल खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया।

जान की भीख मांगते नजर आए थे पुलिसकर्मी

पिछले वर्ष फरवरी माह में हुए राजधानी में हिंदू विरोधी दंगे हो या गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा दोनों ही दंगो के बाद भारत के गणतंत्र और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को अपमानित होना पड़ा। ट्रैक्टर रैली के दौरान किसानों के द्वारा किए गए दंगों से कई ऐसी तस्वीरें सामने आई जिनमें पुलिसकर्मी किसानों से जान की भीख मांगते नजर आए।

दूसरी तरफ ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा को कुछ किसान संगठन सरकार की साजिश बता रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि साजिश के तहत मार्च को निर्धारित समय से 2 घंटे पहले शुरू किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा के सभी घटक दलों ने इस घटना की कड़ी निंदा की।

राकेश टिकैत पर उठाए सवाल

वीएम सिंह ने शिकायत पर सवाल उठाते हुए कहा उन्होंने एक बार भी गन्ना किसानों की बात नहीं उठाई। धान खरीद की भी कोई बात नहीं की।

जाहिर है किसान आंदोलनों में पड़ी फूट के बाद आंदोलन पहले से कमजोर हो गया है। ट्रैक्टर रैली के दौरान हुए हिंसा से 2 महीनों से चल रहे शांतिपूर्ण किसान आंदोलन पर हिंसा का दाग लग गया है। जिससे छुटकारा पाना आसान नहीं होगा। किसान आंदोलन में पड़ने वाली फूट यह तय करेगी कि किसान आंदोलन आगे कहां तक जाएगा।

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Young Journalist covering Rural India, Investigation, Fact Check and Uttar Pradesh.

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