गोरखपुर : आजादी के लिए हुए ऐतिहासिक आंदोलन चौरी चौरा के दौरान ब्रिटिश पुलिस तथा स्वतंत्रता सेनानियों के बीच हुई हिंसक घटनाओं के कारण हमेशा से चर्चा में रहा हैं. चौरी चौरा की घटना के शताब्दी समारोह की शुरुआत गुरुवार को गोरखपुर (उत्तरप्रदेश) में हुई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और कहा कि गोरखपुर समेत पूरे प्रदेश में इस जश्न को पूरे साल तक यूपी के सभी जिलों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज जनपद गोरखपुर में चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव में शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया.
पीएम नरेंद्र मोदी का संबोधन:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया. पीएम मोदी ने कहा कि देश को कभी चौरा चौरी की घटना नहीं भूलनी चाहिए, उन्होंने देश के लिए अपनी जान दी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इस संबोधन में कहा कि चौरी चौरा में जो हुआ वो सिर्फ एक थाने में आग लगाने की घटना नहीं थी, स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा आजादी के लिए एक बड़ा संदेश अंग्रेजी हुकूमत को दिया. पीएम मोदी ने कहा कि इस घटना को इतिहास में सही जगह नहीं दी गई, लेकिन हमें उन शहीदों को सलाम करना चाहिए जो देश की स्वतंत्रता के लिए शहीद हुए.
चौरी चौरा कांड:
चौरी चौरा कांड 4 फरवरी 1922 को ब्रिटिश भारत में संयुक्त राज्य के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में हुई थी, जब असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था. जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी, जिससे उनके सभी कब्जेधारी मारे गए. इस घटना के कारण तीन नागरिकों और 22, पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी. इस घटना को चौरीचौरा काण्ड के नाम से जाना जाता है. ब्रिटिश सरकार ने इस घटना के बाद, 19 लोगों को पकड़कर उन्हें फाँसी दे दी थी, और उनकी याद में यहाँ आज भी एक शहीद स्मारक स्थापित हैं. जिसे 1971 में गोरखपुर ज़िले के लोगों ने चौरी-चौरा शहीद स्मारक समिति का गठन किया. इस समिति ने 1973 में चौरी-चौरा में 12.2 मीटर ऊंची एक मीनार बनाई. इसके दोनों तरफ एक शहीद को फांसी से लटकते हुए दिखाया गया हैं.
असहयोग आदोंलन पर भी असर:
असहयोग आदोंलन गाँधी जी के नेतृत्व मे चलाया जाने वाला प्रथम जन आन्दोलन था. इस आंदोलन का व्यापक जन आधार था. शहरी क्षेत्र मे मध्यम वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्र में किसानों और आदिवासियों का इसे व्यापक समर्थन मिला था. इसी बीच 4 फ़रवरी 1922 को गोरखपुर ज़िले के चौरी- चौरा नामक स्थान पर पुलिस ने जबरन एक जुलूस को रोकना चाहा, इसके फलस्वरूप जनता ने क्रोध में आकर थाने में आग लगा दी, जिसमें कई आमजन और सिपाहियों की मृत्यु हो गई. थी इस घटना से गांधी जी स्तब्ध रह गए और हिंसा की इस कार्यवाही से गाँधी जी को यह आन्दोलन तत्काल वापस लेना पड़ा.
Kapil reports for Neo Politico Hindi.