भिवानी: पिछले 80 दिनों से केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन जारी है। जिसको तमाम भारतीय नेताओं, अभिनेताओं और विदेशी सितारों ने भी समर्थन दिया है।
लेकिन पिछले कुछ समय से प्रतीत होता है कि यह किसान आंदोलन अपनी राह से भटक गया है। किसानों के हितों के नाम पर शुरू हुए आंदोलन का मुख्य काम धार्मिक या जातिगत समुदायों को निशाना बनाना है।
गौरतलब है कि हरियाणा भिवानी के जाट नेता हवा सिंह सांगवान ने धर्म परिवर्तन की घोषणा कर दी। सागवान के अनुसार हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है और उनको उनके समर्थकों को यह अत्यावश्यक है कि वे हिंदू धर्म को त्याग कर सिख धर्म अपना ले।
दरअसल जाट नेता सांगवान जब किसान आंदोलन को समर्थन देने टिकरी बॉर्डर पहुंचे तो उन्होंने 21 अप्रैल को अमृतसर में 250- 300 लोगों के साथ हिंदू धर्म जाकर सिख धर्म अपनाने की घोषणा कर दी।
जाट आरक्षण आंदोलन के नेता सांगवान जो कि पूर्व में सीआरपीएफ के कमांडेंट थे उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की मांगें नहीं मान रही है और किसान भी अपनी मांगों को पूरी करवा कर ही दम लेंगे, कानून वापसी तक पीछे नहीं हटेंगे।
राकेश टिकैत भी मंदिर पंडितों पर कर चुके टिप्पणी:
सर्वप्रथम किसान आंदोलन के मुख्य चेहरे राकेश टिकैत द्वारा हिन्दू ब्राह्मणों पर जातिवादी टिप्पणी और हिन्दू मंदिरों पर अनुचित टिप्पणी की गई थी।
फिर गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर लाल किला पर धार्मिक झंडा लहराया गया और दिल्ली पुलिस के जवानों को हथियारों से घायल कर दिया गया।
जब हमारे समूह फलाना दिखाना ने आंदोलन की फंडिंग के स्रोतों को आपके सामने बेनकाब किया तो पता चला कि कैसी कैसी ताकतें देश के लोकतंत्र को बदनाम करने में लगी हैं।
यहां तक कि अकाली दल के सांसद हरसिमरत कौर ने संसद ने दिए अपने जातिगत मानसिकता से ग्रसित भाषण में यह तक कह दिया कि “हमारी कौम की वजह से ही तुम्हारा तिलक व जनेऊ जीवित है।”