भोपाल: मध्यप्रदेश की राजाधानी भोपाल में स्थित भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय 1 साल का डिप्लोमा कोर्स शुरु करने जा रहा है, जो पूरी तरह रामचरितमानस पर आधारित होगा.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज मंगलवार को मिंटो हॉल, भोपाल में मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय एवं शासकीय महाविद्यालयों के अनुबंध समारोह को संबोधित किया.
इस दौरान मंत्री डॉ. यादव ने विश्विद्यालय के राम चरित मानस से सामाजिक विकास पाठ्यक्रम एवं भोज कैलेण्डर का विमोचन किया। कार्यक्रम में 134 नये अध्ययन केन्द्र खोले जाने के लिये भोज मुक्त विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के अनुबंध-पत्र आदान-प्रदान किये गये।
15 फरवरी तक ले सकते हैं एडमिशन:
जी मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक रामचरित मानस के तहत शुरू होने जा रहे इस डिप्लोमा कोर्स के लिए 15 फरवरी एडमिशन ले सकते हैं. भोज यूनिवर्सिटी के मुताबिक इस डिप्लोमा कोर्स के लिए छात्रों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, एडमिशन की प्रक्रिया पूरी होते ही अगले महीने से इसकी नियमित कक्षायें भी शुरु हो जाएगी. खास बात यह है कि मध्य प्रदेश की जो महाविद्यालय भोज यूनिवर्सिटी से अटेच होगा, वहां से भी छात्र यह डिप्लोमा कर सकते हैं.
रामचरित मानस के डिप्लोमा में यह कोर्स होंगे शामिल
रामचरित मानस और जीव विज्ञान
इस विषय में वन्य जीव और पेड़ पौधों के बारे पढ़ाया जाएगा. कॉलेज प्रबंधन के मुताबिक जिस तरह भगवान राम ने वनवास के समय विभिन्न पेड़ पौधों को खोज की थी या कहें कि उन्हे उपयोगी बनाया था, इसी आधार पर छात्रों को जीव विज्ञान से जुड़ी शिक्षा दी जाएगी. इसके साथ साथ वन्य जीव जैसे बंदर (वानर), गिलहरी, भालू आदि से भगवान राम ने किस तरह उनसे संबंध रखकर उनका सहयोग लिया, उसी आधार पर छात्रों को जानवरों से आचरण की सीख दी जाएगी.
रामचरित मानस और भौतिक विज्ञान
भगवान राम ने किस तरह तकनीक का इस्तेमाल कर समुद्र में पुल (सेतु) का निर्माण किया, किस तरह हथियारों का उपयोग किया या कहें कि शस्त्रों के प्रयोग से किस तरह विस्फोट होता था, उनमे किस तरह के केमिकल इस्तेमाल किये जाते थे. ये तमाम तकनीकी छात्रों को समझाए जाएगी.
रामचरित मानस वैज्ञानिक मूल्य बोध और सामाजिकता
ब्रम्हा, विष्णु और महेश की संक्लपना मे कार्बन, पंचतत्व, निराकार और साकार के साथ मानव की संरचना. रामसेतु मे किन रसायनों का इस्तेमाल किया गया. यह सभी जानकारी इस कोर्स के माध्यम से छात्रों को सिखाई जाएगी.
रामचरित मानस पर करवाई जाएगी रिसर्च
इस विषयों के साथ साथ स्टूडेंट्स को प्रोजेक्ट वर्क भी दिया जायेगा, ताकि वे घर रहकर रामचरित मानस पर रिसर्च कर सके. भोज यूनिवर्सिटी भी अपने इस डिप्लोमा कोर्स को अभिनव मान रही है. जिसका जिक्र वकायदा एडमिशन के लिए जारी विज्ञापन में भी किया गया है. ये डिप्लोमा कोर्स भोज यूनिवर्सिटी के सभी 11 सेंटरों पर कराया जाएगा.
छात्रों के लिए फायदेमंद होगा कोर्सः प्रोफेसर त्यागी
वही भोज विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रहे रामचरितमानस पर आधारित इस डिप्लोमा पर मध्य प्रदेश प्रोफेसर संघ के अध्यक्ष कैलाश त्यागी ने खुशी जताई है, उनका कहना है कि यह बहुत ही अच्छा कोर्स शुरू हो रहा है. रामचरितमानस का भारतीय संस्कृति में एक अपना स्थान है रामचरित्र मानस से बच्चों में वह गुण आएंगे जिन गुणों की आज के समाज में बहुत आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भगवान राम ने जिस तरह से हर वर्ग को साथ लेकर रावण पर विजय प्राप्त की थी. उसी तरह की पढ़ाई अगर छात्र करेंगे तो यह निश्चित ही समाज के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा.
प्रोफेसर त्यागी ने कहा कि हमारी पढ़ाई आज भी हमारी संस्कृति पर टिकी हुई है. इस कोर्स से छात्रों के जीवन का विकास होगा और अगर उन्हें प्रकृति से जोड़ा जाएगा तो उन्हें प्रकृति का उपयोग समझ में आएगा. यह बहुत ही अच्छा प्रयास है और इस तरीके का कोर्स केवल एक यूनिवर्सिटी में नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश की हर यूनिवर्सिटी में जल्द से जल्द लागू करना चाहिए.