‘यदि एक बार आरक्षण से नौकरी मिल गई तो उस व्यक्ति की अगली पीढ़ी को न मिले आरक्षण’: JDU नेता

पटना: जदयू नेता अजय आलोक ने आरक्षण व्यवस्था में बदलाव का सुझाव देकर एक नई बहस खड़ी कर दी है।

दरअसल आरक्षण की एक खबर को साझा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए अजय आलोक ने कहा कि संशोधन कर एक नियम बनाना चाहिए कि एक बार अगर आरक्षण के लाभ से अगर पढ़ाई आगे नौकरी मिल गयी हो तो उस व्यक्ति की अगली पीढ़ी को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए तभी इन जातियों के बड़े वर्ग को लाभ मिल सकेगा।

जदयू नेता ने आरक्षण पर कुछ ही तबके पर नियंत्रण मानते हुए ये भी कहा कि कुछ परिवारों की पकड़ से आरक्षण को छुड़ाना ज़रूरी हैं।

इसके बाद अपने सरकार की आरक्षण सम्बन्धी उपलब्धि याद दिलाते हुए लालू यादव की सरकार पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय कर्पूरी जी ने बिहार में महिलाओं को 3 प्रतिशत आरक्षण दिया। अति पिछड़ों को 20 प्रतिशत आरक्षण दिया, annexure 1 और 2 लागू किया, लालू जी आए सब ख़त्म कर दिया। नीतीश कुमार जी विरोध में अलग हो गए। और 2005 में जब CM बने तो वापस सब ठीक किया और महिलाओं और अति पिछड़ों को सशक्त किया, ये सोच हैं।

नीतीश की सफाई:

वहीं अजय आलोक के आरक्षण में संशोधन वाले बयान ने जल्द ही बिहार की राजनीति में तूल पकड़ लिया। तो जब इसी से जुड़ा प्रश्न मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा गया तो उन्‍होंने आरक्षण के मामले में केंद्र में भी बिहार के फाॅर्मूले पर विचार करने की बात कही है। अगर केंद्र में भी आरक्षण के प्रविधान में बदलाव की बात हो तो बिहार की तरह लागू किया जा सकता है। अभी केंद्र में सिर्फ पिछड़ा वर्ग को ही रखा गया है, जबकि बिहार में अति पिछड़ों को भी आरक्षण दिया जा रहा है। केंद्र और बिहार में आरक्षण के जो प्रावधान पहले से लागू हैं, उनसे छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।

आगे नीतीश ने ये भी कहा कि यदि किसी प्रकार का आकलन, सर्वे या बहस चल रहा है तो वो हो, मगर किसी को आरक्षण से वंचित नहीं किया जाना चाहिए । उन्‍होंने कहा है कि अब तो आर्थिक आधार पर भी जो एससी-एसटी नहीं भी हैं उन्‍हें भी आरक्षण दे दिया गया है, फिर आरक्षण खत्‍म करने या इसके प्रावधान में संशोधन का सवाल ही कहां उठता है।

जातिगत जनगणना की मांग:

इसके अलावा जब नीतीश कुमार से जातिगत जनगणना को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वे स्वयं चाहते हैं कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए। नीतीश ने कहा कि हम तो पहले से ही चाहते हैं कि जाति के आधार पर जनगणना होनी चाहिए। देश में किस जाति के कितने लोग हैं यह पता चल जाएगा तो फिर उनके लिए और क्या करना चाहिए इसका निर्णय लेने में आसानी होगी।


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