तिनका तिनका कर राम मंदिर के लिए जुड़ गए 2100 करोड़, मेले में बेर बेचकर माताजी का 100 रुपए का दान नहीं भूलेगा

अयोध्या: श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए मकर संक्रांति (15 जनवरी) से चल रहे राम निधि समर्पण अभियान में ‘जन-जन के राम’ की अवधारणा की पुष्टि हो रही है। सभी छोट- बड़े अपनी श्रद्धानुसार समर्पण कर रहे हैं।

पूरे देश में निधि समर्पण अभियान को लेकर जो उत्साह दिख रहा है, उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे देश में लोग राम मंदिर के निर्माण के लिए लोगों में कितना उत्साह हैं।

अब तक 2100 करोड़ का दान –

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए चल रहे निधि समर्पण अभियान में अब तक दान से इक्कीस सौ करोड़ रुपए की राशि ट्रस्ट के खाते में जमा हो चुकी हैं।

सम्पूर्ण निधि देश भर में चलाये जा रहे निधि समर्पण अभियान के अंतर्गत आयी है। राम मंदिर निर्माण के लिए लोगों में समर्पण भाव तो देखा जा रहा है साथ ही साथ लोगों में इसको लेकर काफी उत्साह भी है।

1100 करोड़ रुपये का था लक्ष्य –

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने राम मंदिर निर्माण के लिए 1100 करोड़ रुपये की निधि इकठ्ठा होने का अनुमान लगाया गया था। जिसमें से 300-400 करोड़ रुपयों से राम मंदिर निर्माण एवं अन्य से परिसर के विकास की योजना बनाई गयी थी। अब जब प्रस्ताव से अधिक निधि की प्राप्त हो चुकी है तो यह स्पष्ट नहीं है कि बढ़ रही राशि किन कार्यों में लगायी जा सकती है।

छोटी छोटी राशियों ने निभाई अहम् भूमिका-

किसी बच्ची ने गुल्लक तोड़कर ढाई सौ रुपए तो किसी कबाड़ बेचने वाले ने कबाड़ बेचकर 50 रुपए समर्पित किए। मध्य प्रदेश के दूर गांव की किसी महिला ने बेर बेच कर अपने पूरे दिन की कमाई समर्पित कर दी तो किसी भिक्षा मांगने वाले वृद्ध ने ₹101 समर्पित कर अपना सहयोग किया।

ऐसे ही छोटी-छोटी राम गिलहरियों के समर्पण ने प्रभु श्री राम के मंदिर के लिए 2100 करोड़ रुपयों की विशाल राशि एकत्रित कर दी। भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए देश भर से लोगों ने अपनी क्षमता एवं श्रद्धानुसार ₹11 से लेकर ₹110000000 तक का समर्पण किया।

भावुक कर देनी वाली भी कहानियां सामने आई-

निधि समर्पण अभियान के दौरान बहुत सारी भावुक कर देने वाली तस्वीरें भी सामने आई जहां लोगों ने बढ़-चढ़कर राम मंदिर निर्माण के लिए किया समर्पित किया। ऐसी ही एक तस्वीर कोटा से आई जहां पर रामचंद्र मेहरा के घर का निर्माण कार्य चल रहा था वे सीमेंट और रेत लेने के लिए निकल रहे थे तभी उनके यहां निधि संग्रह करने कार्यकर्ता पहुंचे और उन्होंने सहजता से कूपन लेने का आग्रह किया। रामचंद्र मेहरा उन्हें देखकर कुछ सकुचाए फिर दोनों पति-पत्नी अंदर गए और वापस आए। रेत और सीमेंट के लिए जेब में रखी 5555 रुपए निकाल कर डोली को सौंप दिया और कहा, “मकान तो कुछ दिनों बाद भी बन जाएगा पहले राम जी का मंदिर बनने दो।”

इसी कड़ी में राजस्थान के 20 किन्नरों ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए लाखों रुपए समर्पित करते हुए इसे अपने जीवन का भावनात्मक क्षण कहा। किए।

कुछ ऐसे ही एक तस्वीर महाराष्ट्र के बसाई में देखने को मिली जहां मिट्टी के बर्तन बेचकर गरीब परिवार ने राम मंदिर के लिए निधि समर्पित कर दी दरअसल बसई के नालासोपारा शहर के नशा वीर बस्ती में मिट्टी के बने मटके बेचकर गरीब परिवार अपना जीवन यापन करता था जब उसे धन संग्रह टोली ने अपनी स्वेच्छा से श्री रामलला के लिए मंदिर निर्माण हेतु राशि समर्पण हेतु निवेदन किया तो उन्होंने तत्काल 5, 10 के सिक्के मिलाकर ₹100 का समर्पण कर दिया।

वही मध्य प्रदेश के विदिशा से इसी अभियान के दौरान अद्भुत संयोग वाला मामला सामने आया है। जहां विदिशा की 85 वर्षीय शांति देवी ने मंदिर के लिए अपनी वृद्धावस्था पेंशन में से 21 सो रुपए दान करने के कुछ ही घंटे बाद प्राण त्याग दिए।

वर्षों बाद मिला सौभाग्य:

ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष का कहना है कि लगभग 492 वर्षों के बाद हम सबको यह सौभाग्य प्राप्त हुआ हैं। उन्होंने कहा राम मंदिर निर्माण के लिए चल रहे निधि समर्पण अभियान जैसे-जैसे समापन की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ही रामभक्तों में राममंदिर के लिए निधि समर्पण अभियान में दान करने के लिए उत्सुक दिख रहें हैं। जिसमें गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपनी इच्छानुसार दान करके इस पुण्य कार्य में अपनी उपस्थित दर्ज करा रहा हैं।

बन रहा है स्मृतियों का मंदिर –

जिस तरह से मंदिर निर्माण के लिए लोगों का सहयोग मिल रहा है और प्रेरणादायक तस्वीरें सामने आ रही है जाहिर है राम मंदिर एक भवन या इमारत नहीं बल्कि बहुत सारी भावनाओं को समेटें हुए एक स्मृतियों का मंदिर बन रहा है। जो देश विदेश के करोड़ो रामभक्तों के आस्था केंद्र होगा।

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Young Journalist covering Rural India, Investigation, Fact Check and Uttar Pradesh.

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