भुवनेश्वर: भारत के ओडिशा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में 10 साल के एक छोटे बच्चे आयुष कुमार खुंतिया ने कोरोना काल में लगे लाॅकडाउन का सदुपयोग करते हुए उसने एक अद्भुत कार्य किया हैं. जिसमें उसने महाकाव्य रामायण का अनुवाद अपनी मातृभाषा ओड़िया भाषा में पूर्ण किया हैं.
इस 104 पेज वाली रामायण का नाम उसने पिलाका रामायण रखा हैं. लॉकडाउन में प्रसारित होने वाले रामायण को देखकर उसे ओड़िया भाषा में अनुवाद करने वाले बच्चे के बारे में जानना लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ हैं.
लाॅकडाउन का सदुपयोग
वैश्विक महामारी कोरोना से बचने के लिए बीते साल देशभर में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. इस दौरान मनोरंजन और दर्शकों की भारी मांग पर दूरदर्शन के द्वारा एक बार फिर रामायण और महाभारत का प्रसारण किया गया था.
जिसमें भुवनेश्वर के एक 10 साल के बच्चे आयुष कुमार खुंतिया ने लाॅकडाउन का लाभ लेते हुए ओड़िया भाषा में रामायण को लिखकर एक मिशाल पेश की हैं. आयुष ने लाॅकडाउन में प्रसारित होने वाली रामायण को हर रोज बड़ी रूचि से देखा बल्कि इतना ही नही रामायण को हर रोज अपनी पुस्तक पर नोट भी करता रहा जिसकी सहायता से आयुष ने 104 पेज में रामायण का ओड़िया भाषा में अनुवाद किया और उसका नाम पिलाका रामायण रखा हैं. आइए जाने आयुष क्या कहते हैं..
न्यूज़ एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार आयुष ने कहा, ‘मार्च में घोषित लॉकडाउन के वक्त, मुझे मेरे बड़े पिता जी ने टीवी पर रामायण देखने और बाद में उस पर कुछ लिखने को कहा. मैंने दूरदर्शन चैनल पर हर रोज रामायण को देखा और अपनी नोटबुक में हर एपिसोड को ओड़िया भाषा में नोट करते गया. आयुष ने बताया कि किताब पूरी करने में उसे लगभग दो महीने का समय लगा.
आयुष ने बताया कि उन्होंने इस किताब में रामायण के कई महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में लिखा है जैसे भगवान राम का 14 वर्ष का वनवास, रावण द्वारा माँ सीता का हरण और भगवान राम की वापसी पर कैसे अयोध्या वासियों ने उनका स्वागत दीप प्रज्ज्वलित करके किया था.
Kapil reports for Neo Politico Hindi.