नईदिल्ली: केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने आज एक ऑनलाइन आयोजन में ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स (ईओएलआई) 2020 और नगर पालिका कार्य निष्पादन सूचकांक (एमपीआई) 2020 की अंतिम रैंकिंग जारी की। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा और उनके मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस आयोजन में उपस्थित थे।
ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स 2020 की उन शहरों के लिए घोषणा की गई जिनकी जनसंख्या दस लाख से अधिक और दस लाख से कम है। वर्ष 2020 में आयोजित मूल्यांकन प्रक्रिया में 111 शहरों ने भाग लिया। विश्लेषण में इन शहरों को 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों और 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों के रूप में स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के तहत सभी शहरों के साथ श्रेणीबद्ध किया गया।
10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में बेंगलुरु सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शहर के रूप में उभरा, इसके बाद पुणे, अहमदाबाद, चेन्नई, सूरत, नवीमुंबई, कोयंबटूर, वडोदरा, इंदौर और ग्रेटर मुंबई का स्थान रहा। 10 लाख से कम आबादी वाली श्रेणी में शिमला ईज ऑफ लिविंग में सर्वोच्च स्थान पर रहा, इसकेबादभुवनेश्वर, सिलवासा, काकीनाडा, सलेम, वेल्लोर, गांधीनगर, गुरुग्राम, दावणगेरे, और तिरुचिरापल्ली रहे।
इसी प्रकार ईओएलआई इंडेक्स की तरह, एमपीआई 2020 के तहत मूल्यांकन ढांचे में जनसंख्या के आधार पर नगरपालिकाओं को दस लाख से अधिक जनसंख्या वाली नगरपालिका और 10 लाख से कम आबादी वाले नगरपालिकाओं में श्रेणीबद्ध किया गया है। इंदौर सबसे अधिक रैंक वाली नगरपालिका के रूप में उभरा है, इसके बाद सूरत और भोपाल का स्थान रहा है। दस लाख से कम आबादी वाली श्रेणी में, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद शीर्ष स्थान पर रही, इसके बाद तिरुपति और गांधीनगर का स्थान रहा।
एमपीआई द्वारा 111 नगरपालिकाओं (दिल्ली का अलग से एनडीएमसी और 3 नगर निगमों के लिए मूल्यांकन किया गया) की पाँच वर्टिकलों में क्षेत्रवार किए गए प्रदर्शन की जांच की गई। इन पांच वर्टिकलों में कुल मिलाकर 20 क्षेत्र और 100 संकेतक शामिल हैं। एमपीआई के तहत पाँच वर्टिकल हैं- सेवाएँ, वित्त, नीति, प्रौद्योगिकी और शासन।
ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स (ईओएलआई) एक मूल्यांकन उपकरण है जो जीवन की गुणवत्ता और शहरी विकास के लिए विभिन्न पहलों के प्रभाव का आकलन करता है। यह जीवन की गुणवत्ता, शहर की आर्थिक क्षमता, स्थिरता और लचीलापन के आधार पर देश भर के प्रतिभागी शहरों की व्यापक समझ उपलब्ध कराता है। इस मूल्यांकन में सिटीजन पर्सेप्शन सर्वे (सीपीएस) के माध्यम से नगर के प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं के बारे में नागरिकों के दृष्टिकोण भी शामिल हैं।
नगरपालिका कार्य प्रदर्शन सूचकांक (एमपीआई) को ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स के सहायक के रूप में लॉन्च किया गया था। यह सेवाओं, वित्त, नीति, प्रौद्योगिकी और शासन के सभी क्षेत्रों में नगरपालिकाओं में स्थानीय शासन प्रणाली की जांच करता है। यह स्थानीय शासन प्रणाली में जटिलताओं का सरलीकरण और मूल्यांकन करने के साथ-साथ पारदर्शिता और जवाबदेही के लोकाचार को भी बढ़ावा देता है।
दोनों सूचकांक शहरी जीवन के विभिन्न मापदंडों के बारे में पूरे देश के शहरों के कार्य प्रदर्शन का पता लगाने के प्रयास का प्रतिनिधित्व करते हैं। ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स परिणामी संकेतकों की पुष्टि करता है, जबकि नगरपालिका प्रदर्शन सूचकांक सक्षम इनपुट मापदंडों को ग्रहण करता है। ये सूचकांक जीवन की बेहतर गुणवत्ता, बुनियादी ढांचे का निर्माण, शहरीकरण की चुनौतियों का समाधान करने के प्रयासों के आधार पर शहरों का समग्र मूल्यांकन उपलब्ध कराते हैं।
इन सूचकांकों से प्राप्त की गई जानकारी सरकार की अंतराल की पहचान करने, संभावित अवसरों की तलाश करने और स्थानीय शासन प्रणाली में दक्षता बढ़ाने में मदद कर सकती हैं ताकि नागरिकों का जीवन बेहतर बनाया जा सके और व्यापक विकास परिणामों को पूरा किया जा सके। इन मूल्यांकनों का ढांचा आवासन और शहरी विकास मंत्रालय ने एक ज्ञान भागीदार के रूप में प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान के साथ मिलकर तैयार किया था।
ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स (ईओएलआई)
ईओएलआई 2020 इस सूचकांक में सिटीजन पर्सेप्शन सर्वे के साथ ढांचे को मजबूती देते हुए अपने दायरे को मजबूत बनाता है। इस सर्वेक्षण का भारांक 30 प्रतिशत रखा जाता है। इसलिए, यह उन परिणामों की जांच करता है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और आश्रय, डब्ल्यूएएसएच और एसडब्ल्यूएम, गतिशीलता, रक्षा औरसुरक्षा, मनोरंजन, आर्थिक विकास का स्तर, आर्थिक अवसर, पर्यावरण, ग्रीन स्पेस और भवन, ऊर्जा खपत, और शहर का लचीलापन जैसी 13 श्रेणियों में जीवन की गुणवत्ता, आर्थिक क्षमता, स्थिरता के स्तंभों माध्यम से मौजूदा जीवन की स्थिति को बढ़ावा देने वाले परिणामों की जांच करता है। इन श्रेणियों का समग्र परिणाम में 70 प्रतिशत योगदान है।
सिटीजन पर्सेप्शन सर्वे (सीपीएस) को सेवा की आपूर्ति के संदर्भ में अपने शहर के नागरिकों के अनुभव को मान्यता देने में मदद के लिए शुरू किया गया था। यह मूल्यांकन 16 जनवरी, 2020 से 20 मार्च, 2020 तक आयोजित किया गया था। इस सर्वेक्षण में 111 शहरों के कुल 32.2 लाख नागरिकों ने भाग लिया। भुवनेश्वर का सीपीएस स्कोर सबसे अधिक था, उसके बाद सिलवासा, दावणगेरे, काकीनाडा, बिलासपुर और भागलपुर का स्थान रहा।
ईओएलआई और एमपीआई के संशोधित संस्करण के लिए कार्यप्रणाली और दृष्टिकोण फरवरी 2019 में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए थे। आवश्यक रूप से ईओएलआई की रिपोर्ट का उद्देश्य 111 शहरों में जीवन की गुणवत्ता, आर्थिक क्षमता और स्थिरता के लिए 13 श्रेणियों में 49 संकेतक के साथ भारतीय नागरिकों का मापन करना है। ईओएलआई मुख्य रूप से सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि सहित भारत के शहरी विकास परिणामों में तेजी लाने का प्रयास करता है। सूचकांक से प्राप्त निष्कर्ष साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण में मार्ग दर्शन करने में मदद कर सकते हैं। यह शहरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के साथ-साथ उन्हें अपने साथियों से कुछ सीखने और अपने विकास गति को आगे बढ़ाने में प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।
नगर निगम का प्रदर्शन सूचकांक 2020 (एमपीआई)
ईओएलआई के दायरे को बढाकर इसे अधिक मजबूत बनाने के लिए, देश में पहली बार नगरपालिका कार्य प्रदर्शन सूचकांक मूल्यांकन भी शुरू किया गया। ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स सूचकांक के एक परिणाम को मापता है, जबकि नगर पालिका कार्य प्रदर्शन सूचकांक उन घटकों पर ध्यान केंद्रित करता है जो उन परिणामों को पैदा करते हैं। नगर पालिका कार्य प्रदर्शन उन तत्वों की पहचान करने का काम करता है जो सेवा वितरण तंत्र, योजना, वित्तीय प्रणालियों और शासन प्रक्रिया में कुशल स्थानीय शासन को रोकते हैं।
नगरपालिका कार्य प्रदर्शन सूचकांक भारतीय नगर पालिकाओं की उनके निर्धारित कार्यों में कार्य प्रदर्शन का आकलन और विश्लेषण करने का एक प्रयास है। एक नगर पालिका की जिम्मेदारियां वर्टिकल श्रृंखला में फैली होती हैं, जिनमें शहरी योजना जैसे जटिल मूलभूत जनसेवाओं का प्रावधान भी शामिल है। एमपीआई की मुख्य विशेषताएं नीचे दी गई हैं।
नगरपालिका कार्य प्रदर्शन सूचकांक नगरपालिकाओं के कार्यक्षमता और उनकी विकास क्षमताओं की सीमा के बारे में सक्षम जानकारी प्रदान करता है। सूचकांक के माध्यम से, नागरिक अपने स्थानीय सरकार के प्रशासन को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं, जो पारदर्शिता का निर्माण करता है और प्रमुख हितधारकों में विश्वास पैदा करता है।
इस ढांचे में 20 विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं। जिनके नाम हैं- शिक्षा, स्वास्थ्य, जल और अपशिष्ट जल, एसडब्ल्यूएम और स्वच्छता, पंजीकरण और परमिट, बुनियादी ढांचा, राजस्व प्रबंधन, व्यय प्रबंधन, राजकोषीय जिम्मेदारी, राजकोषीय विकेंद्रीकरण, डिजिटल प्रशासन, डिजिटल पहुंच, डिजिटल साक्षरता, योजना तैयार करना, योजना लागू करना, योजना प्रवर्तन, पारदर्शिता और जवाबदेही, मानव संसाधन, भागीदारी और प्रभावशीलता।