लखनऊ: आज ‘रामायण विश्व महाकोश कर्टेन रेजर’ पुस्तक का विमोचन एवं कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबोधित किया।
इस कार्यक्रम में सनातन संस्कृति व उत्तर प्रदेश के महत्व पर कहा कि भारत की सनातन हिन्दू धर्म परम्परा के अनुसार जिन 07 नगरों को हम सप्तपुरियों के रूप में जानते हैं उसमें से 03 अयोध्या, मथुरा, काशी तो उत्तर प्रदेश में ही हैं। सनातन हिन्दू धर्म की आत्मा उत्तर प्रदेश में निवास करती है। रामायण और महाभारत की कहानियां हमें बहुत कुछ बताती हैं। भारत में पूरब से पश्चिम तक विस्तार के बारे में आज भी हमें धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से समझने को मिलता है।
वहीं मुख्यमंत्री ने भगवान राम के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी ने भगवान विष्णु का अवतार होने के बावजूद खुद को मानव से इतर प्रकट करने का प्रयास नहीं किया। उन्होंने मानवीय मर्यादाओं के अंदर ही अपनी लीलाओं को रचा, यही राम जी की महानता है। प्रभु श्री राम की यह महानता थी कि उन्होंने सामान्य मनुष्य की भांति कष्टों को सहते हुए मानवीय मर्यादाओं का पग-पग पालन किया।
आगे मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम पर बोलते हुए कहा कि ‘ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण’ प्रकृति और परमात्मा के समन्वय को दर्शाने का कार्य करेगा। यह विज्ञान और अध्यात्म के अनेक अनछुए पहलुओं को जानने का अवसर भी प्रदान करेगा। यह विश्व कोश अपने आप में रामायण के विश्वव्यापी स्वरूप को प्रस्तुत करने में मदद करेगा।
यह ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ द रामायण की कार्यशाला एक अच्छी और सकारात्मक पहल है। मैं चाहूंगा कि इसको डिजिटल फॉर्म में जोड़ दें, भाषा का कोई विवाद नहीं होना चाहिए। इसे दुनिया की हर भाषा के साथ जोड़ना चाहिए।
उन्होंने पांडुलिपियों के रखरखाव के बारे में कहा कि बहुत सारे घरों में पुरानी पांडुलिपियां होंगी। मुझे वाराणसी की एक लाइब्रेरी में जाने का अवसर मिला, जहां बहुत पुरानी पांडुलिपियां रखी हुई थीं। हमारा प्रयास होना चाहिए कि प्राचीन पांडुलिपियों को संरक्षित करने के साथ-साथ इसे आने वाली पीढ़ी के लिए डिजिटल स्वरूप में संरक्षित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने वैश्विक राम लीलाओं के प्रयास पर जोर देते हुए कहा कि यह अभियान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के बारे में बहुत सारी जानकारियां देगा। हमारा प्रयास होना चाहिए कि भारत के अलावा दुनिया के अन्य देशों की राम लीलाओं का आयोजन भी अयोध्या में हो। हम रूस, लाओस, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका की रामलीला के कार्यक्रम को जोड़कर इस अभियान को आगे बढ़ाया जा सकता है। यह कपोल कल्पना नहीं है। इसमें सच्चाई भी है, वह देश व स्थल आज भी मौजूद हैं।
उन्होंने अभियान पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं इस पूरे अभियान के लिए हृदय से बधाई देता हूं और विश्वास व्यक्त करता हूं कि हम सब अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे। यह कार्यक्रम ऐसे अवसर पर और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण को आगे बढ़ाया जा चुका है।
अंत में उन्होंने ये भी कहा कि भारत की संस्कृति व समृद्ध परंपरा के विरुद्ध दुष्प्रचार करने व भारत के खिलाफ वातावरण निर्मित करने के लिए अनेक लोगों को जूठन के रूप में धन अवश्य मिल जाता होगा लेकिन दुनिया में इनका सम्मान नहीं होता। उनकी ऐसी दुर्गति होती है वे ‘न घर के न घाट के’ रहते हैं।