अयोध्या में राम पधारेंगे या बाबर की होगी घर वापसी, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली

नई दिल्ली :- अयोध्या में राम पधारेंगे या बाबर इस मुद्दे पर आज से सुप्रीम कोर्ट में नई पीठ सुनवाई करने जा रही थी, यह सुनवाई आख़िरी बार होनी थी और इन्ही सुनवाइयों में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट को अपना रुख साफ़ करना था,परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनवाई जनवरी 2019 तक बढ़ा दी है।

हम आपको बता दें कि अयोध्या की 2.77 एकड़ की ज़मीन पर तीन पक्ष अपना अधिकार बतातें हैं- राम मंदिर समर्थित पक्ष, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड। 2010 में इलाहबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में तीनो पक्षों को बराबर-बराबर ज़मीन बाँटने का फैसला सुनाया था, जिस फैसले पर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।

27 सितंबर को पूर्व न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने दो-एक के बहुमत से आदेश दिया था कि विवादित भूमि के मालिकाना हक वाले दीवानी मुकदमे की सुनवाई तीन जजों की नई बेंच 29 अक्टूबर से सुनवाई करेगी। उसी दौरान “दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने ये भी माना था कि मस्जिद नमाज पढ़ने का अभिन्न हिस्सा नहीं है”।

पिछली बेंच में  न्यायाधीश दीपक मिश्रा और दो जस्टिस : अशोक भूषण और अब्दुल नजीर शामिल थे। वहीँ आज की सुनवाई बेंच में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई और दो जस्टिस : संजय किशन कौल और केएम जोसेफ शामिल हैं।

वहीँ बीजेपी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ भी हो राम मंदिर तो बनकर ही रहेगा, चाहे सरकार को उसके लिए अध्यादेश ही क्यों न लाना पड़े। वहीँ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने बयान दिया था कि “यदि कोई अच्छा हिन्दू होगा तो वह नहीं चाहेगा की राम मंदिर विवादित ज़मीन पर बनें”।

आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा है कि राम मंदिर पर सुनवाई की तारीख जनवरी 2019 में तय होगी। हम आपको बता दें कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में केवल दो मिनट सुनवाई हुई है। वहीँ बीजेपी के नेता विनय कटियार ने कहा है कि “सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस के दवाब में काम कर रही है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या 2019 के लोक सभा चुनाव से पहले मोदी सरकार राम मंदिर पर अध्यादेश लायेगी।

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