कासगंज: उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में दलित युवक को जातिसूचक शब्द कहने व मारपीट के मामले में एससी एसटी एक्ट की विशेष कोर्ट ने करीब 12वर्षो के बाद 4 व्यक्तियों को दोषमुक्त किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि घटना में लगाए गए आरोपों का कोई भी सबूत देने में पीड़ित पक्ष विफल रहा है। साथ ही जिरह के दौरान भी पीड़ित पक्ष भी कमजोर दिखाई पड़ा।
आपको बता दें कि जिले के थाना पटियाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दरियानगंज ग्राम में रहने वाले दलित युवक रामसनेही ने वर्ष 2009 में 4 युवको पर जातिसूचक शब्द कहने व मारपीट करने का आरोप लगाकर एससी एसटी एक्ट में मामला दर्ज कराया था। युवक की तहरीर पर धारा 323 , 504 , 506 आईपीसी व एससी एसटी एक्ट में केस दर्ज किया गया था। जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
अपने बयान में रामसनेही ने आरोप लगाया था कि 3 सितम्बर 2009 को शाम करीब 6 बजे वह अपने सरसो के खेत में जुताई करने पंहुचा था। जहां उसे पहले से मौजूद विजयपाल, सत्यपाल, अजय पाल व मुल्कराज मिले। आरोप है कि चारो ने रामसनेही को बुरी तरह पीटकर उसके 1500 रूपए छीन लिए। साथी ही जातिसूचक शब्द कहकर उसे अपमानित किया।
इसी बीच अजय पाल की केस के दौरान ही मृत्यु हो गई थी। मामले की सुनवाई पूरी होने पर विशेष न्यायधीश गजेंद्र(एससी एसटी एक्ट) ने सभी आरोपों को तथ्यहीन पाया जिसके बाद सभी आरोपियों को दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपियों को तत्काल जिला कारागार से बरी करने का आदेश पारित किया है।
12 वर्षो बाद झूठे मामले से रिहा होंगे निर्दोष
करीब 12 वर्ष लम्बे चले इस मामले में एक निर्दोष अजयपाल ने वर्ष 2015 में तनाव के चलते देह त्याग दिया था। वहीं सभी आरोपी जिला कारागार में बंद थे। रिहाई के फैसले से परिजनों में ख़ुशी की लहर तो है लेकिन झूठे मामले ने उनका सब कुछ उजाड़ कर रख दिया है।