नई दिल्ली: कोरोना महामारी के खिलाफ भारत की जंग लगातार जारी है। कोरोना के खिलाफ जंग में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की नई दवा उम्मीद की किरण लेकर आई है।
इसी कड़ी में आज रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से विकसित कोरोना की दवा 2-डीजी की पहली खेप लॉन्च की गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने दवा 2 डीजी को हरी झंडी दिखा दी है। 2 डीजी लॉन्चिंग के बाद अगले एक-दो दिनों में यह मरीजों को मिलने लग जाएगी। सरकार द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार हैदराबाद की डॉ. रेड्डीज लैब में दवा 2 डीजी की 10 हजार डोज़ बनकर तैयार हो गई है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक मिश्रा ने रक्षा मंत्री को बताया अपना गुरु:
डीआरडीओ और डीआरएल द्वारा तैयार की गई 2 डीजी ड्रग बनाने वाले डॉ. अनिल कुमार मिश्रा ने आज दवा 2 डीजी लांचिंग के समय खुले मंच अपने विचार रखें और इस खास उपलब्धि के मौके पर प्रसिद्ध दोहे का उच्चारण करते हुए कहते हैं कि
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।
इसके बाद अपने पढ़ाई के समय को याद करते हुए डॉ. मिश्रा कहते हैं कि माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी मेरे गुरु है और मैं उनका शिष्य रहा हूँ।
उन्होंने कहा मेरी पढ़ाई के समय 1988 में मिर्जापुर कॉलेज में माननीय राजनाथ सिंह जी प्राध्यापक थे और उन्होंने मुझे फिजिक्स पढ़ाई हैं। डीआरडीओ द्वारा बनाई गई 2 डीजी ड्रग के बारे में डॉ. मिश्रा ने राजनाथ सिंह जी के सम्मान में कहा कि ये आपकी ही दी हुई धरोहर है जिसको मैंने आपके समक्ष प्रस्तुत किया हैं।
कौन हैं वैज्ञानिक अनिल मिश्रा
इस दवा को बनाने में डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल मिश्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ अनिल मिश्रा का जन्म बलिया (यूपी), में हुआ था। उन्होंने एम.एससी 1984 में गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर और उनकी पीएचडी (1988) रसायन विज्ञान विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से की। वह 1994- 1997 तक INSERM, नैनटेस, फ्रांस में प्रोफेसर चटल के साथ अनुसंधान वैज्ञानिक थे।
वह 1997 से वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज, डीआरडीओ, रक्षा मंत्रालय, दिल्ली में शामिल हुए, अब वह 2002-2003 तक मैक्स-प्लैंक इंस्टीट्यूट, जर्मनी में हेड और अतिरिक्त निदेशक INMAS और विजिटिंग प्रोफेसर हैं। उन्होंने 22 पीएचडी छात्रों का मार्गदर्शन किया है, 270 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं।
डॉ मिश्रा को कई पुरस्कार मिले हैं और सबसे प्रतिष्ठित एक है 1999 में भारत के प्रधान मंत्री द्वारा DRDO यंग साइंटिस्ट। उनकी शोध रुचि रेडियोमेकैमिस्ट्री, मेटल केमिस्ट्री, रेडियोफार्मास्युटिकल साइंस आदि में है।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.