बदायूं: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की एक खबर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है जिसमें बताया जा रहा है कि एक दलित महिला को मंदिर में प्रसाद चढ़ाने से रोक दिया गया। इस खबर को नेताओ और पत्रकारों द्वारा भी खूब शेयर किया जा रहा है।
घटना में नेत्रपाल यादव और शेशपाल यादव को आरोपी बनाया गया है। परंतु जब हमारी टीम बदायूं जिले के अलोहा गांव पहुंची तो मामला बिल्कुल विपरीत प्रदर्शित हुआ।
ग्रामीणों ने बताया कि कथित पीड़ित महिला और उसका बेटा दोनों मंदिर में रोजाना पूजा करने के लिए आते हैं जबकि उसी के समुदाय के अन्य बहुत से लोग भी मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं। कथित पीड़ित महिला ने खुद भी दावा किया कि वह भगवान की परिक्रमा कर रही थी और किसी ने भी उसे ऐसा करने से नहीं रोका।
घटना में आरोपी बनाए गए युवक ने हमारे अंग्रेजी संस्करण नियो पॉलीटिको को बताया कि “वह परिक्रमा कर रही थी और फूल नीचे ज़मीन पर फेंके जा रही थी जो कि मंदिर में आने वाले अन्य भक्तो के पैरो में गिर रहे थे। इसी दौरान एक भक्त ने महिला को फूल फेंकने से रोका क्योंकि के फूल उनके पांवों में आ रहे थे, बस केवल इतनी ही बात हुई थी।”
ग्रामीणों ने ये भी बताया कि महिला ने न केवल भगवान को प्रसाद चढ़ाया अपितु अग्नि में लकड़ी डालकर यज्ञ भी किया था।
ग्रामीणों ने आगे बताया कि “मंदिर में आए भक्तों ने जब महिला को फूल फेंकने से रोका तो उसका बड़ा बेटा जो कि वहीं महिला के साथ परिक्रमा कर रहा था, उसने भक्तों के साथ अपशब्द कहे थे। कथित आरोपियों ने महिला और उसके बेटे को केवल मंदिर प्रांगण में अपशब्दों को इस्तेमाल करने से रोका था।” ग्रामीणों के अनुसार वे अपने यज्ञ अनुष्ठान बर्बाद नहीं होने देना चाहते थे इसीलिए उन्होंने महिला को यज्ञ की अग्नि में लकड़ी डालने के लिए कहा।
महिला ने राजनीतिक द्वेष के कारण मुकदमा दर्ज करवाया
मौजूद ग्रामीणों ने हमें बताया की महिला ने राजनीतिक द्वेष के चलते एससी एसटी एक्ट लगाया है। चूंकि घटना में आरोपी बनाया गया युवक पिछले पंचायत चुनाव में सरपंच प्रत्याशी था। उधर महिला का छोटा बेटा पत्रकार है जिसने महिला को झूठा मुकदमा दर्ज करवाने का दवाब बनाया ताकि उसे एक ज्वलनशील हेडलाइन मिल सके।
गवाह ने घटना को बताया गलत
घटना में गवाह बनाए गए दो व्यक्तियों ने मामले को असत्य बताते हुए कहा कि महिला अपने निजी लाभ और द्वेष के चलते एससी एसटी एक्ट का दुरुपयोग कर रही है। यद्यपि पुलिस ने एससी एसटी एक्ट के विभिन्न सेक्शन के तहत मामला दर्ज कर लिया है, और जांच शुरू कर दी है जिसमें मामला प्रथम दृष्टया झूठा प्रतीत हो रहा है।
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