लखनऊ: शायर मुनव्वर राणा को एक और झटका लगा है, हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से करने के मामले में उन्हें राहत नहीं दी।
कोर्ट ने अपराधिक मामले में शायर की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है साथ ही मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज FIR को रद्द करवाने वाली याचिका भी खारिज कर दी गई है।
मुनव्वर की याचिका पर गुरुवार को न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति सरोज यादव ने यह आदेश दिया।
एससी एसटी एक्ट में दर्ज किया था केस
गौरतलब है कि दो हफ्ते पहले महर्षि बाल्मीकि की तुलना तालिबान से करने पर शायर मुनव्वर राणा के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
तालिबान भी दस साल बाद बाल्मिकी होंगे: मुनव्वर
मशहूर शायर मुनव्वर राणा द्वारा तालिबान का समर्थन कर क्रूर तालिबानियों की तुलना महर्षि बाल्मीकि से करते हुए कहा गया था कि तालिबान भी दस साल बाद बाल्मिकी होंगे। मुनव्वर ने कहा था कि बाल्मिकी एक लेखक थे। हिन्दू धर्म में तो किसी को भी भगवान कह देते हैं।
करोड़ों अनुयायियों की आस्था पर हमला
अंबेडकर महासभा के महामंत्री अमरनाथ प्रजापति ने उप पुलिस अधीक्षक लखनऊ को पत्र लिखते हुए कहा था कि मुनव्वर राणा द्वारा की गई टिप्पणी से हमारी आस्था को चोट पहुंची है तथा उन्होंने महर्षि बाल्मिकी के करोड़ों अनुयायियों की आस्था पर हमला किया है।
दी गई तहरीर में अमरनाथ प्रजापति, पीएल भारती ने कहा था कि मुनव्वर ने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबानियों से कर करोड़ों हिन्दुओं की आस्था और दलितों का अपमान किया है। राना के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए, 295 बी, 505 (1) (बी) के तहत केस दर्ज किया गया था।