नई दिल्ली: देश में लंबे समय से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की चली आ रही मांग के बीच मोदी सरकार में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि ये बड़ा मुद्दा है।
अंग्रेजी समाचार चैनल टाइम्स नाउ के एक कार्यक्रम में समान नागरिक संहिता पर पूछे गए सवाल के जवाब में रिजिजू ने कहा कि “यह एक बड़ा मुद्दा है।”
उनसे जब कहा गया कि क्या उन्हें पता है कि विधि आयोग इसपर अध्ययन कर रहा है ? इसके जवाब में कानून मंत्री का कहना था कि “मुझे मामले की जानकारी है। यह किसी आयोग या मंत्रालय की रिपोर्ट से कहीं अधिक है। उचित समय में जवाब दिया जाएगा।”
संसद में दे चुके हैं लिखित जवाब:
इसके पहले संसद के मानसून सत्र के दौरान 05 अगस्त को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राज्यसभा सदस्य अब्दुल वहाब द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में राज्यसभा में विधि एवं कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 44 यह उपबंधित करता है कि राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।
आगे मंत्री ने कहा था कि विषयवस्तु की महत्ता और उसमें निहित संवेदनशीलता और विभिन्न समुदायों को प्रशासित करने वाली विभिन्न स्वीय विधियों के उपबंधों के गहन अध्ययन की अपेक्षा को भी ध्यान में रखते हुए, सरकार ने भारत के विधि आयोग से समान सिविल संहिता से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच करने और उस पर सिफारिश करने का अनुरोध किया है।
अंत में इसी मुद्दे से जुड़े सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा था कि मामले में किसी निश्चित समय – सीमा का निर्धारित किया जाना संभव नहीं होगा।
तत्कालीन CJI का है समर्थन
वहीं तत्कालीन CJI शरद अरविंद बोबड़े ने इसी साल मार्च में गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान शिक्षाविदों से आग्रह किया था कि वे देखें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड कैसे गोवा में काम करता है।
राष्ट्रपति ने कहा था ‘गौरव’
यूनिफॉर्म सिविल कोड की तारीफ केवल तत्कालीन CJI ने ही नहीं की है बल्कि इसके पहले राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी गोवा राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने को गौरव का विषय बताया था। राष्ट्रपति 19 दिसंबर, 2020 को कोविंद गोवा मुक्ति दिवस समारोह में भाग ले रहे थे।