भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 15 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हबीबगंज रेलवे स्टेशन का लोकार्पण करेंगे हालांकि इसके पहले स्टेशन के नाम बदलने की तेज मांग शुरू हो गई है।
स्टेशन के नाम बदलने की मांग खुद भोपाल से भाजपा की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कर दी है। गुरुवार को एक ट्वीट कर सांसद ने कहा कि भोपाल में 15 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जनजातीय गौरव दिवस पर आना हमारे भोपाल के लिए शुभ संकेत हैं।
आगे वो कहती हैं कि, मुझे विश्वास है कि मोदी जी हबीबगंज रेलवे स्टेशन को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर होने की घोषणा करेंगे और मेरे पूर्व से इस आग्रह की पूर्णता होगी।
पूर्व मंत्री ने भी की मांग
भोपाल सांसद के अलावा मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री व भाजपा नेता जयभान सिंह पवैया ने भी स्टेशन के नाम को बदलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मेरी भावना यह है कि जब इतने सर्वश्रेष्ठ स्टेशन का निर्माण ही मध्य प्रदेश की राजधानी में हुआ है तो उस स्थान का नाम भी सर्वश्रेष्ठ महापुरुष, व्यक्तित्व के नाम पर होना चाहिए।
जिसके नाम पर है स्टेशन वो करता था वसूली
पवैया ने आगे कहा कि ऐसी मध्य प्रदेश की माटी में पले बढ़े भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई के नाम पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये एयरपोर्ट की दर्ज पर स्टेशन है, लेकिन नाम हबीबगंज है, जहां तक मुझे पता चला है हबीब तो वसूली किया करते थे, मैंने अपनी भावना को नेतृत्व के पास पहुंच दिया है, रेलवे बोर्ड भी जल्द विचार करेगा।
पीपीपी मॉडल वाला पहला स्टेशन
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को भोपाल में नए तरह से तैयार हुए हबीबगंज रेलवे स्टेशन का लोकार्पण करेंगे। ये देश का पहला रेलवे स्टेशन है जो पीपीपी मॉडल से तैयार किया गया है।
हबीबगंज पुनर्विकास परियोजना के निदेशक के मुताबिक स्टेशन में 700 यात्रियों के बैठने की क्षमता हैं। स्टेशन सौर ऊर्जा से चलता है जो पर्यावरण के लिए अच्छा है।
दिखेगी मध्यप्रदेश की छटा
स्टेशन के मुख्य द्वार, प्रतीक्षालय में मध्यप्रदेश के पर्यटन एवं दर्शनीय स्थलों, विशेषकर भोपाल शहर और भोपाल के आसपास जैसे भोजपुर मंदिर, साँची स्तूप, भीमबैठिका, बिड़ला मंदिर, सांकाश्यामजी, वीआईपी रोड, तवा डेम, जनजातीय संग्रहालय आदि स्थलों के चित्र प्रदर्शित किए जाएंगे।
साथ ही मुख्य द्वार के अंदर दोनों ओर की दीवाल पर भील, पिथोरा पेंटिंग्स एवं अन्य आर्ट इफेक्ट्स प्रदर्शित किए जायेंगे। जनजातीय शिल्प कला के रूप में पेपरमेशी से निर्मित जनजातीय मुखौटे को मुख्य द्वार के सामने की वॉल पर लगाया जाएगा।