सियालकोट: पाकिस्तान में कट्टरपंथी भीड़ का एक बार फिर खौफनाक चेहरा सामने आया है। सियालकोट में भीड़ ने श्रीलंकाई कारखाने के कर्मचारी को मारकर सड़क पर ही जला दिया।
स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक सियालकोट में भीड़ ने शुक्रवार को एक व्यक्ति के शरीर को जलाने से पहले उसे मौत के घाट उतार दिया, जबकि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए भारी पुलिस बल को इलाके में भेजा गया है।
यह घटना सियालकोट के वजीराबाद रोड पर हुई, जहां कथित तौर पर निजी कारखानों के श्रमिकों ने एक कारखाने के निर्यात प्रबंधक पर हमला किया और उसकी हत्या कर उसके शरीर को जला दिया।
तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान के नारे लगाने वाली भीड़ ने सियालकोट में श्रीलंकाई फैक्ट्री मैनेजर की बेरहमी से हत्या कर दी। खबरों के मुताबिक भीड़ ने हत्या को सही ठहराने के लिए ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाया। TLP को हाल ही में सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। घटना का वीडियो पाकिस्तान के पत्रकारों ने भी साझा किया है।
सियालकोट के जिला पुलिस अधिकारी उमर सईद मलिक ने कहा कि प्रियंता कुमारा के रूप में पहचाने जाने वाला व्यक्ति श्रीलंकाई नागरिक था। सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में सैकड़ों पुरुष और युवा लड़के घटनास्थल पर एकत्र हुए दिखाई दे रहे हैं। ये लोग सर तन से जुदा के नारे भी लगा रहे हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार ने हत्या का संज्ञान लेते हुए इसे “बहुत दुखद घटना” करार दिया, जबकि सियालकोट पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि प्रारंभिक जांच के बाद विवरण मीडिया के साथ साझा किया जाएगा।
बुजदार ने पुलिस महानिरीक्षक से रिपोर्ट तलब की है और मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, “घटना के हर पहलू की जांच की जानी चाहिए और एक रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए। कानून अपने हाथ में लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।”
पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक राव सरदार अली खान ने भी घटना का संज्ञान लिया और गुजरांवाला क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी को तुरंत घटनास्थल पर पहुंचने का निर्देश दिया।
आईजीपी ने कहा, ‘सियालकोट के डीपीओ मौके पर मौजूद हैं। घटना के सभी पहलुओं की जांच होनी चाहिए।’
2010 में सियालकोट में इसी तरह की एक घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया था, जब गुस्साई भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में दो भाइयों को डकैत घोषित कर पीट-पीट कर मार डाला था। इस घटना ने पूरे देश में सदमे और दहशत फैला दी क्योंकि जघन्य हत्याओं के सेलफोन फुटेज वीडियो-शेयरिंग साइटों पर अपलोड किए गए थे।