नई दिल्ली: मोदी सरकार जामा मस्जिद के संरक्षण का कार्य कर रही है जिसके तहत बीते कुछ सालों में 50 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं।
लोकसभा में सदस्य साजदा अहमद द्वारा सोमवार को पूछे गए एक सवाल के जवाब में संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने जामा मस्जिद का प्रलेखीकरण और नियमबद्ध मानचित्रण का काम शुरू कर दिया है। आवश्यकतानुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षण कार्य नियमित रूप से किया गया है।
मंत्री ने कहा कि जब कभी आवश्यकता हुई जामा मस्जिद के संरक्षण के लिए निधियां उपलब्ध कराई गई हैं।
पिछले तीन प्रचालन सत्रों के लिए जामा मस्जिद के संरक्षण पर कुल 52.80 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। व्यय के वर्षवार ब्यौरे पर बात करें तो वर्ष 2018-19 में 13.90 लाख रुपये, 2019-20 में 13.92 लाख रुपये एवं 2020-21 में 25.00 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं।
कैसे काम करता है ASI !
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), संस्कृति विभाग, पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय के तहत एक संलग्न कार्यालय के रूप में, पुरातात्विक अनुसंधान और राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए प्रमुख संगठन है। प्राचीन स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्व के अवशेषों का रखरखाव एएसआई की प्रमुख चिंता है। इसके अलावा यह प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार देश में सभी पुरातात्विक गतिविधियों को नियंत्रित करता है। यह पुरावशेष और कला खजाना अधिनियम, 1972 को भी नियंत्रित करता है।
राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों और अवशेषों के रख-रखाव के लिए पूरे देश को 24 सर्किलों में बांटा गया है। संगठन के पास अपनी खुदाई शाखाओं, प्रागितिहास शाखा, एपिग्राफी शाखाओं, विज्ञान शाखा, बागवानी शाखा, भवन सर्वेक्षण परियोजना, मंदिर सर्वेक्षण परियोजनाओं और पानी के नीचे पुरातत्व के माध्यम से पुरातात्विक अनुसंधान परियोजनाओं के संचालन के लिए प्रशिक्षित पुरातत्वविदों, संरक्षकों, पुरालेखशास्त्रियों, वास्तुकारों और वैज्ञानिकों का एक बड़ा कार्यबल है।