फतेहाबाद– दलित महिला द्वारा दुष्कर्म की शिकायत पर जिला न्यायालय और फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज बलवंत सिंह की अदालत ने कथित दुष्कर्म के आरोपी को बरी कर दिया है, कोर्ट ने कहा कि अपनी सहमति से बनाया गया संबंध दुष्कर्म नही होता हैं।
कोर्ट ने कहा खुद महिला का भी ये दायित्व बनता है कि संबंध बनाने के लिए किसी के सामने समर्पण करने से पहले यह पता कर ले कि आरोपी कुंवारा है या शादीशुदा हैं। कोर्ट ने कहा महिला का आचरण बताता है कि उसने कथित आरोपी से अपनी सहमति से संबंध बनाये और बाद में किसी साजिश के चलते मुकदमा दर्ज करा दिया।
क्या था मामला?
मामला जून 2019 का है, जहां एक दलित महिला ने आरोप लगाया कि वह नौकरी की तलाश में एक स्कूल गई थी, जहां उसकी मुलाकात उसी स्कूल के कैंटीन ठेकेदार दिलीप से हुई थी। जहां दिलीप ने पहले तो उसे टोहाना शहर में कमरा किराए से दिलाया और एक दिन जूस में कुछ नशीला पदार्थ मिलाकर लाया और उसे बेहोश कर बेहोशी की हालत में उसके साथ दुष्कर्म किया।
महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी पहले से शादीशुदा होते हुए उसे शादी का झांसा देकर कई महीनों तक उसके साथ दुष्कर्म करता रहा, और जब वह गर्भवती हो गई तो उसका गर्भपात करा दिया।
पहले से थी शादीशुदा होने की जानकारी
कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी दिलीप की पत्नी और मकान मालिक को भी पेश किया गया, जहां उन दोनों की गवाही के बाद अदालत ने कहा कि इस सब से यही साबित होता है कि महिला को पहले से ज्ञात था कि आरोपी शादीशुदा है और वह खुद अपनी सहमति से आरोपी के साथ संबंध में थी। जिसके बाद कोर्ट ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए उसे बरी कर दिया।
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Kapil reports for Neo Politico Hindi.