बेंगलुरु- कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने गुरूवार को विधानसभा में “कर्नाटक हिन्दू धार्मिक संस्थान एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक” नामक एक बिल पारित किया है, जिसके तहत अब कर्नाटक में उपस्थित हिन्दू मंदिरों से टैक्स वसूलने की तैयारी की जा रहीं है। वहीं कर्नाटक सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए बीजेपी और साधु संतों ने विधानसभा में पारित इस बिल को हिन्दू विरोधी बताया है।
बता दे कि कर्नाटक हिन्दू धार्मिक संस्थान एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक के तहत कर्नाटक के ऐसे मंदिर जिनकी आय 1 करोड़ से अधिक है, उन्हें 10 फीसदी टैक्स देना होगा। तो वहीं जिन मंदिरों की आय 10 लाख से अधिक और 1 करोड़ से कम है, ऐसे मंदिरों से 5 फीसदी टैक्स लिया जाएगा।
हम हिन्दू विरोधी नहीं- कांग्रेस
बीजेपी के हिन्दू विरोधी बयान का जवाब देते हुए कांग्रेस के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि इस बिल को पास करने का मकसद राज्य के 40-50 हजार पुजारियों की मदद करना है। उन्होंने कहा कि हम हिन्दू विरोधी नहीं है, बल्कि बीजेपी हिन्दू विरोधी है। यह कानून आज से 20 साल पहले अस्तित्व में आया था और साल 2011 में इसमें कई संशोधन किए गए। उन्होंने कहा कि उस समय राज्य में 5 लाख की आय वाले 34 हजार व 10 लाख की आय वाले 205 मंदिर थे, जिन्होंने धार्मिक परिषद को कीई भी पैसा नहीं दिया।
रामलिंगा रेड्डी ने बताया कि यह कोई नया कानून या बिल नहीं है, बल्कि यह वर्ष 2003 से ही है। उन्होंने कहा कि राज्य में 50 हजार से ज्यादा पुजारी है, जिनकी मदद सरकार इस विधेयक के माध्यम से करना चाहती है। इस विधेयक के तहत अगर कुछ पैसा धार्मिक परिषद तक पहुंचेगा तो हम उस पैसे से पुजारियों का बीमा करवा सकते है।
यदि पुजारियों के परिजनों को कुछ परेशानी होती है तो उनके परिवार वालों को भी कम से कम 5 लाख रुपए मिल सके। इसके अलावा इस बिल का मकसद पुजारियों के बच्चों को स्काॅलरशिप प्रदान करना है, जिसके लिए हमें सलाना कम से कम 5-6 करोड़ की जरूरत होगी।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.