मथुरा: नंदगांव में दीवारों पर लिखे विवादित दावों ने धार्मिक मान्यताओं को चुनौती देते हुए विवाद खड़ा कर दिया है। बड़े अक्षरों में लिखा गया था कि भगवान श्रीकृष्ण का संबंध जाट समुदाय से था और नंदगांव का एक “नया इतिहास” प्रस्तुत किया गया। यह दावा पौराणिक मान्यताओं से अलग था, जिससे क्षेत्र में हंगामा मच गया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए लिखावट को हटवाया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। दीवारों पर लिखे तथाकथित “इतिहास” ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
यदुवंशी जाट राजा देवमीढ़ और उनका वंश
दीवार पर लिखा गया था कि भगवान श्रीकृष्ण का संबंध यदुवंशी जाट राजा देवमीढ़ से था। दावा किया गया कि राजा देवमीढ़ की दो पत्नियां थीं, जिनसे उनके वंशज पर्जन्य और शूरसेन का जन्म हुआ। पर्जन्य के बारे में बताया गया कि उन्होंने एक ऋषि के रूप में तपस्या की और उनका विवाह रघुवंशी जाट परिवार की वरीयसी नामक लड़की से हुआ।
नंदबाबा का जन्म और नंदगांव का इतिहास
दावा किया गया कि पर्जन्य के मध्यम पुत्र के रूप में नंदराय (नंदबाबा) का जन्म हुआ। नंदबाबा ने नंदगांव में महादेव का एक मंदिर बनवाया, जिसे “नंदीश्वर महादेव” के नाम से जाना जाता है। यही नहीं, यह भी लिखा गया कि नंदगांव का नाम नंदबाबा के नाम पर पड़ा। इस कथित इतिहास में यह बताया गया कि नंदबाबा का विवाह ग्राम मेहराना के जाट जागीरदार गिरिवानु की पुत्री यशोदा से हुआ था।
भरतपुर नरेश और मंदिर निर्माण का जिक्र
इस तथाकथित इतिहास में यह भी दावा किया गया कि सन 1764 में भरतपुर नरेश महाराज सूरजमल की विजय के बाद यदुवंशी जाट रूपसिंह ने नंदबाबा के मंदिर का भव्य निर्माण करवाया। रूपसिंह ने मंदिर के लिए कृषि भूमि भी दान दी। इससे पहले, बताया गया कि अंधकवंशी जाट राजा कंस ने नंदबाबा और उनके परिवार को परेशान किया था, जिससे वे गोकुल चले गए। बाद में वे वापस नंदगांव लौट आए।
पुलिस का सख्त कदम
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दीवारों पर लिखे दावों को तुरंत हटवा दिया। आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। एसपी देहात त्रिगुण बिसेन ने कहा, “ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” मथुरा जैसे धार्मिक स्थान पर इस प्रकार के विवाद ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में हलचल मचा दी है। प्रशासन ने अब पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।