हज कर चुके जैद को सऊदी अरब ने दी मौत की सजा, मेरठ में परिवार परेशान, सरकार से लगाई गुहार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के रहने वाले जैद (36) को सऊदी अरब की क्रिमिनल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है। जैद पर ड्रग्स की तस्करी और निर्माण का आरोप लगा था, जिसके तहत उन्हें जनवरी 2023 में गिरफ्तार किया गया था। उनके परिवार का दावा है कि जैद को झूठे आरोप में फंसाया गया है। अब परिवार सरकार से जैद को बचाने की गुहार लगा रहा है।

ड्रग्स के साथ गिरफ्तारी और मौत की सजा

जेद्दाह स्थित भारतीय दूतावास के मुताबिक, जैद और एक पाकिस्तानी युवक को 15 जनवरी 2023 को गिरफ्तार किया गया था। दोनों को एक कार में पाया गया, जिसमें 400 ग्राम क्रिस्टल मेथ और 305 ग्राम क्रश्ड ड्रग्स बरामद हुए थे। पुलिस ने जांच के दौरान एक लैब का भी खुलासा किया, जहां नशीले पदार्थ बनाए और शुद्ध किए जा रहे थे। बड़ी मात्रा में ड्रग्स बरामद होने के बाद, अदालत ने सबूतों और जैद के कबूलनामे के आधार पर उन्हें दोषी करार दिया। मक्का स्थित अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई।

गांव में मातम, परिवार ने लगाई दया याचिका की गुहार

मेरठ के रछौती गांव में जैद का घर है। उनके पिता जुबैर अहमद, पत्नी रिहाना, और सात भाई हैं। जैद के छोटे भाई शाद का कहना है कि जैद ने ड्रग्स तस्करी जैसा कोई काम नहीं किया। उन्होंने बताया, “जैद सऊदी में पुलिसकर्मियों की गाड़ी चलाता था। हमें लगता है कि उसे साजिशन फंसाया गया है।” गांव में महिलाएं जैद की सलामती के लिए दुआ कर रही हैं। परिवार ने भारतीय सरकार और सऊदी दूतावास से अपील की है कि जैद के लिए मर्सी पिटीशन दायर की जाए।

क्या है मर्सी पिटीशन और इसका महत्व?

मर्सी पिटीशन (दया याचिका) एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके जरिए दोषी को सजा से राहत दिलाने के लिए संबंधित देश के राष्ट्राध्यक्ष से अपील की जाती है। भारतीय दूतावास ने जैद के परिवार को सलाह दी है कि वे सऊदी अरब के किंग के नाम पर दया याचिका तैयार करें। यह याचिका नई दिल्ली स्थित सऊदी दूतावास के माध्यम से भेजी जाएगी। फिलहाल, जैद का परिवार मेरठ कचहरी में इस याचिका से जुड़े दस्तावेज तैयार करवा रहा है। भारतीय दूतावास ने सऊदी अरब की अथॉरिटीज से यह अपील भी की है कि इस मामले को मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाए।

गांव से सऊदी जाने वाले युवाओं के लिए सबक

रछौती गांव की आबादी लगभग 10 हजार है, और यहां से 700 से अधिक युवक सऊदी अरब में नौकरी करते हैं। अधिकांश ड्राइवर का काम करते हैं और हर महीने 25-30 हजार रुपए कमाते हैं। जैद 2018 में सऊदी गया था और वहां एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम कर रहा था। गांव में यह दूसरी बार है, जब किसी युवक को सऊदी अरब में गंभीर कानूनी संकट का सामना करना पड़ा है। परिवार और गांववालों का कहना है कि यह घटना वहां काम करने वाले युवाओं के लिए एक चेतावनी है।

सरकार और परिवार की उम्मीदें

जैद का परिवार और गांववाले अब सरकार और भारतीय दूतावास की ओर देख रहे हैं। वकील मोहम्मद असजद का कहना है,
“सऊदी सरकार ने परिवार को कानूनी पैरवी का मौका दिया है। अगर समय पर मर्सी पिटीशन दायर हो जाती है, तो जैद को राहत मिल सकती है।” हालांकि सऊदी अरब के कड़े कानूनों को देखते हुए यह देखना होगा कि जैद को राहत मिल पाती है या नहीं। परिवार ने सरकार से गुजारिश की है कि वे इस मामले में पूरी मदद करें ताकि जैद की जान बचाई जा सके।

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