बिहार(पटना) : बिहार के सीएम एससी एसटी एक्ट को लेकर बेहद सख्त नजर आ रहे है। खबर है की बीते हफ्ते उन्होंने सीएम सचिवालय पर गृह विभाग के आला अधिकारियो से इस मुद्दे पर गहन चर्चा की है।
एससी एसटी एक्ट में बढ़ रहे सवर्णो को गुस्से को भांपते हुए जहा मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह ने पहले जांच फिर गिरफ़्तारी की बात कही थी वही बिहार के सीएम नितीश कुमार ने इसके उलट जाकर साफ़ निर्देश दिए है की एससी एसटी एक्ट में दोषसिद्धि दर बढ़ाया जाये।
साथ ही उन्होंने बेहद तल्ख़ भरे अंदाज में उन सभी विशेष सरकारी अभियोजन पक्षों(Spl PPs) को हटाने के निर्देश जारी किये है जो इन एक्ट की सुनवाई में खास रूचि नहीं ले रहे है। विशेष सरकारी अभियोजन पक्ष वह वकील होते है जिन्हे राज्य सरकार एससी एसटी एक्ट में पीड़ित की सुनवाई के लिए हायर करती है।
उन्होंने आला अधिकारियो को निर्देश दिए है की वह दो महीने की अवधी में इन अभियोजन पक्षों के कार्य का मूल्यांकन करे व जो कार्य नहीं कर रहे है उन सभी को बाहर कर दिया जाए ।
साथ ही उन्होंने निर्देश दिए है की Spl. PPs की होने वाली भर्ती में आगे से एससी एसटी वर्ग के लोगो को ही प्राथमिकता दी जाये।
वही एससी एसटी एक्ट में दोषसिद्धि दर की समीक्षा करते हुए उन्होंने अधिकारियों से दोषसिद्धि दर को बढ़ाने की पुरजोर कोशिश करने पर जोर दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके इस एक्ट में अधिक से अधिक लोगो को सजा मिल सके।
नितीश कुमार ने अतिरिक्त मुख्या सचिव आमिर सुब्हानी, डीजीपी, एजी से गहन समीक्षा करते हुए पूछा की आखिर एससी एसटी एक्ट में दोषसिद्धि दर क्यों नहीं बढ़ रहा है ? आगे सीएम साहब ने जोड़ा की पुलिस स्टेशन स्तर पर पेंडिंग पड़े इन केस को एक बार फिर से देखा जाये व जांच बिठाई जाये।
क्या नितीश जी सिर्फ एसी एसडी के बोट से जितते है क्या ।अगर फारवर्ड साथ नही देता तो नितीश जी कभी मुख्यमंत्री नही बनते।आज जो राग अलाप रहे है ।इसमे इनकी कोई गलती नहीहै।सब गलती हम फारवर्ड का है।लालू जी सिर्फ कहते थे भूरा बाल साफ करो ।लेकिन किया नहीं।नितीश जी ने कहा नहीं कर के दिखा रहे है ।
Sc st के पक्ष में नेताओं की ओलम्पिक रेस इसलिये है क्योंकि सभी विधान मंडल ,लोक सभा ,राज्य सभा ,पंचायत राज आदि सब में जाती आधारित सीटों का आरक्षित होना। जहां एक सीट से सरकारें बन बिगड़ जाती है ,वहां इतनी सीटों पर रिस्क कवर ,कुर्सी भक्त कैसे करें। देश कल मिठे या आज मिटे परन्तु यह नेता आरक्षण मुद्दे पर अपनी आत्मा को कुचलकर भी बयान बाज़ी करते है। देश को एक संक्रामक बीमारी की और धकेल रहे है। अन्द्ये कानून बनाकर जाति के नाम से।