भोपाल: मध्य प्रदेश के इंदौर में 8 साल के मासूम के जबरन धर्म परिवर्तन और खतना कराने के सनसनीखेज मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने बच्चे की मां और उसके प्रेमी सहित तीन आरोपियों को दोषी करार देते हुए कुल 10-10 साल की सजा सुनाई है। साथ ही उन पर भारी जुर्माना भी लगाया गया है। मामला जुलाई 2023 का है, जब राजस्थान के बाड़मेर निवासी व्यापारी महेश नाहटा ने इंदौर के खजराना थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। महेश का आरोप था कि उसकी पत्नी प्रार्थना शिवहरे (27) ने अपने प्रेमी इलियास अहमद (33) के साथ मिलकर उसके बेटे का जबरन धर्म परिवर्तन कराया, खतना करवाया और उसे मदरसे में भेजने की कोशिश की। इस काम में मोहम्मद जफर अली (37) ने भी उनका साथ दिया, जिसने फर्जी दस्तावेज तैयार कराए और बच्चे की पहचान बदलने में मदद की।
पति को छोड़ प्रेमी के साथ रहने लगी महिला, बेटे को जबरन साथ ले गई
महेश नाहटा ने अपनी शिकायत में बताया कि 2014 में उसकी शादी प्रार्थना शिवहरे से हुई थी। शादी के एक साल बाद 2015 में उनका बेटा हुआ और सबकुछ ठीक चल रहा था। लेकिन 2018 में उसकी पत्नी अचानक बेटे को लेकर गायब हो गई। महेश के मुताबिक, वे दोनों बस में यात्रा कर रहे थे, लेकिन रतलाम के सालाखेड़ी के पास पत्नी और बेटा अचानक लापता हो गए। जब तलाश की गई, तो पता चला कि प्रार्थना इंदौर में इलियास नाम के व्यक्ति के साथ रहने लगी थी। महेश ने इसकी शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने इलियास को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन कुछ समय बाद वह जमानत पर रिहा हो गया। इस बीच, प्रार्थना भी उसके साथ ही रहने लगी और उसने अपने बेटे को जबरदस्ती अपने साथ रखा।
बेटे का नाम बदला, जन्म प्रमाण पत्र में भी हेरफेर किया
कुछ समय बाद महेश को पता चला कि उसकी पत्नी और इलियास ने मिलकर बेटे का खतना करवा दिया और जबरन इस्लाम धर्म स्वीकार करवाने की कोशिश की। इलियास ने खुद को बच्चे का पिता बताकर उसका नाम और जन्म प्रमाण पत्र बदलवा दिया। इस पूरे षड्यंत्र में मोहम्मद जफर अली ने उसकी मदद की, जिसने फर्जी दस्तावेज तैयार किए और बच्चे की पहचान बदलने में भूमिका निभाई। इसके बाद बच्चे का जबरन एक मदरसे में एडमिशन भी करा दिया गया।
धमकी देकर मांगी थी फिरौती, 5 लाख रुपये मांगे थे
महेश नाहटा के मुताबिक, इलियास ने उसे फोन कर धमकी दी और कहा कि अगर वह अपनी पत्नी और बेटे को वापस चाहता है, तो 5 लाख रुपये देने होंगे। महेश ने 1.5 लाख रुपये देने की बात कही, जिस पर इलियास पहले तो तैयार हुआ, लेकिन फिर उसने कोई संपर्क नहीं किया। इस बीच, महेश ने राजस्थान के सिवाना थाने में एफआईआर दर्ज करा दी और फिर शाजापुर कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर कर दी। इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बच्चे की अभिरक्षा उसके पिता को सौंपने का आदेश दिया, जिससे वह अपने बेटे को वापस पा सका।
PFI कनेक्शन: हिंदू लड़कियों और बच्चों को बनाया जाता था निशाना
महेश नाहटा ने आरोप लगाया कि इलियास का संबंध कट्टरपंथी संगठन पीएफआई (Popular Front of India) से था। उसका चचेरा भाई सरफराज और एक अन्य रिश्तेदार सईद हाफिज अहमद पीएफआई के सक्रिय सदस्य थे। ये दोनों पहले भी धर्मांतरण से जुड़े मामलों में जेल जा चुके थे। महेश के मुताबिक, इलियास और उसके साथियों का एक बड़ा नेटवर्क था, जो हिंदू लड़कियों और उनके बच्चों को निशाना बनाकर धर्म परिवर्तन कराने का काम करता था।
इंदौर कोर्ट का सख्त फैसला: 10 साल की सजा और भारी जुर्माना
इंदौर कोर्ट ने इस गंभीर अपराध में तीनों आरोपियों को दोषी मानते हुए कड़ी सजा सुनाई। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि जबरन धर्म परिवर्तन, फर्जी दस्तावेज तैयार करना और धोखाधड़ी जैसे अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस फैसले के तहत तीनों दोषियों को अलग-अलग धाराओं में कठोर सजा सुनाई गई। धारा 467 और 471 (फर्जी दस्तावेज तैयार करना) के तहत 10-10 साल का सश्रम कारावास और 5-5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। यह सजा इसलिए दी गई क्योंकि आरोपियों ने बच्चे की पहचान बदलने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे। धारा 5 (मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2020) के अंतर्गत 7-7 साल का सश्रम कारावास और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। यह सजा जबरन धर्म परिवर्तन कराने और नाबालिग पर दबाव बनाने के अपराध में दी गई। धारा 420 और 468 (धोखाधड़ी और कूटरचना) के तहत 5-5 साल का सश्रम कारावास और 5-5 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया गया। इस धारा के तहत अदालत ने माना कि आरोपियों ने अवैध रूप से बच्चे की पहचान बदलकर उसे अपने धर्म में शामिल करने की कोशिश की। इस फैसले से साफ हो गया कि इंदौर कोर्ट ने जबरन धर्म परिवर्तन जैसे अपराधों को गंभीरता से लिया है और दोषियों को कठोरतम सजा दी है।
आरोपी पर रासुका लगाने की मांग
इस घटना के सामने आने के बाद भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को ट्वीट कर आरोपियों पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) लगाने की मांग की थी। उनका कहना था कि धर्मांतरण और जबरन खतना जैसे अपराधों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
फैसला: धर्मांतरण के खिलाफ सख्त संदेश
इंदौर कोर्ट के इस फैसले ने ऐसे अपराधों में शामिल लोगों के लिए एक कड़ा संदेश दिया है। यह मामला सिर्फ एक बच्चे के जबरन धर्म परिवर्तन का नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा था, जिसमें महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया जा रहा था। इस फैसले से यह साफ हो गया कि कानून धर्मांतरण और फर्जीवाड़े से जुड़े मामलों को बेहद गंभीरता से ले रहा है और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी।