एक बार फ़िर इसी हफ़्ते जब केंद्र सरकार की याचिका की दलील पर सुप्रीम कोर्ट नें एट्रोसिटी एक्ट के 20 मार्च 2018 वाले ख़ुद के फ़ैसले को ही वापस ले लिया है तो इसका विरोध भी सवर्ण समाज के लोग सोशल मीडिया पर करने लगे हैं ।
एक वेरिफाइड ट्विटर यूजर व सोशल मीडिया विश्लेषक अनुज बाजपेयी लिखते हैं, “भारत में रेप पीड़िता को सबूत देना पड़ता है, लेकिन एससी_एसटी एक्ट में केवल मुँह खोलना ही सबूत है। धिक्कार है ऐसे संविधान पर।”
भारत में #रेप पीड़िता को #सबूत देना पड़ता है, लेकिन #एससी_एसटी एक्ट में केवल मुँह खोलना ही सबूत है।#धिक्कार है ऐसे #संविधान पर।@Real_Anuj की कलम✍️ से
— ANUJ??BAJPAI (@Real_Anuj) October 3, 2019
ऐसी ही बात एक दूसरे वेरिफाइड ट्विटर यूजर अतुल कुशवाहा भी लिखते हैं।
भारत में #रेप पीड़िता को #सबूत देना पड़ता है, लेकिन #एससी_एसटी एक्ट में केवल मुँह खोलना ही सबूत है।#धिक्कार है ऐसे #संविधान पर।
— Atul Kushwaha (@UP_Silk) October 3, 2019
यहाँ तक कि BJP को MP के नोटा की याद दिलाने लगे हैं।
और पूछ रहें हैं कि BJP का कोई नेता सवर्णों के लिए एक शब्द भी क्यों नहीं बोलता !
आपको बता दें कि एट्रोसिटी एक्ट में संसद में अध्यादेश लाकर पलटने के बाद कलराज मिश्र नें कहा था कि एक बार फ़िर से सभी को समझ बैठकर इसे पुनर्विचार करने की जरूरत है ।
Review amendment to SC/ST Act: Kalraj Mishra https://t.co/WUXYfGmtXS
— TOI India (@TOIIndiaNews) September 5, 2018
【लेखक : शिवेंद्र तिवारी, फॉलो करें ट्विटर पर @ShivendraDU98】