प्रयागराज- इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के तीन प्रोफेसरों के खिलाफ दर्ज कराए गए फर्जी एससी एसटी एक्ट के मुकदमे को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है, साथ ही फर्जी और झूठा मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला असिस्टेंट प्रोफेसर पर 15 लाख जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता एक पढ़ी लिखी महिला है, लेकिन उसने व्यक्तिगत रूप से बदला लेने के लिए कानून का दुरूपयोग किया है।
बता दे कि 4 अगस्त 2016 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने थाने में एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि तीनों प्रोफेसरों ने उनका अपमान कर उन्हें परेशान किया है। साथ ही विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर ने उन्हें डांटते हुए जातिगत शब्दों का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने के बाद कोर्ट ने प्रोफेसरों के खिलाफ समन जारी कर दिया था। जिसको चुनौती देते हुए प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
शिकायतकर्ता महिला पर कानून के दुरुपयोग का आरोप
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की पीठ ने प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण, प्रहलाद कुमार और जावेद अख्तर द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि शिकायतकर्ता महिला जो कि अर्थशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर है, उन्होंने कानून के प्रावधानों को अच्छी तरह जानते हुए अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए कानून का दुरूपयोग किया है। जिसके बाद दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जो पूरी तरह से कानून की प्रक्रिया का दुरूपयोग है।
शिकायतकर्ता महिला ने विभाग के प्रमुख और सहयोगियों के खिलाफ व्यक्तिगत बदला लेने के लिए झूठा और फर्जी मामला दायर कर फंसाने की कोशिश की है। न्यायामूर्ति प्रशांत कुमार ने कहा कि जब भी विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर उन्हें ठीक से पढ़ाने और नियमित क्लास लेने के लिए बोलते थे, तो महिला उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा देती थी। जिसके बाद कोर्ट ने महिला असिस्टेंट प्रोफेसर पर हर मामले में 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.