मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के ऐतिहासिक राम जानकी मंदिर से 14 जनवरी को 30 करोड़ रुपए की अष्टधातु मूर्ति चोरी होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घटना ने पूरे जिले में हलचल मचा दी थी। पुलिस ने इस मामले में मंदिर के पुजारी वंशीदास और समाजवादी पार्टी के नेता राम बहादुर पाल सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
पुजारी का मठ बनाने का सपना और चोरी की साजिश
वंशीदास, जो मंदिर के पुजारी थे, लंबे समय से मंदिर के मालिकाना हक को लेकर विवाद में थे। उन्होंने अपने लिए एक अलग मठ बनाने का सपना देखा था, जिसके लिए उन्हें धन की आवश्यकता थी। इसी कारण उन्होंने अष्टधातु की बेशकीमती मूर्ति चोरी करने की योजना बनाई। पुजारी ने समाजवादी पार्टी के नेता राम बहादुर पाल को मंदिर बुलाकर मूर्ति दिखाई। जब पाल को पता चला कि यह मूर्ति अष्टधातु की है और बेहद कीमती है, तो उन्होंने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर इस चोरी की योजना बनाई।
चोरी की योजना और मूर्ति की छिपाने की जगह
पुजारी और पाल ने मूर्ति चोरी करने के बाद इसे छिपाने के लिए हैमाई पहाड़ी मंदिर का चयन किया। उन्होंने सोचा कि इस सुनसान इलाके में मूर्ति सुरक्षित रहेगी और कोई उन्हें पकड़ नहीं पाएगा। लेकिन पुलिस ने अपनी सक्रियता से उन्हें योजना को अंजाम देने से पहले ही धर दबोचा।
गिरफ्तारी की कार्रवाई और मूर्ति की कीमत
पुलिस ने सभी आरोपियों को पुख्ता सबूतों के आधार पर गिरफ्तार कर लिया। अपर पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह ने बताया कि चोरी की गई मूर्ति की कीमत लगभग 30 करोड़ रुपए आंकी गई है। यह मूर्ति न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी अष्टधातु संरचना इसे और भी अधिक मूल्यवान बनाती है। आरोपियों ने सबसे पहले एक सुनार को बुलाकर मूर्तियों की जांच करवाई थी। जब मूर्ति की बेशकीमती पहचान हुई, तो उन्होंने इसे चोरी करने का निर्णय लिया। पुलिस की तत्परता और त्वरित कार्रवाई ने न केवल मूर्ति को वापस पाया, बल्कि अपराधियों को भी सलाखों के पीछे पहुंचाया।