गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि असम सरकार राज्य द्वारा वित्त पोषित विशिष्ट योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए धीरे-धीरे दो बच्चों की नीति लागू करेगी।
सरमा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण नीति, हालांकि, असम में सभी योजनाओं पर तुरंत लागू नहीं होगी, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा कई लाभ दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि “कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिनके लिए हम दो बच्चे की नीति नहीं लागू कर सकते हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्कूलों और कॉलेजों या घरों में मुफ्त प्रवेश प्राप्त करना। लेकिन, कुछ योजनाओं के मामले में, मान लीजिए कि यदि राज्य सरकार द्वारा कोई आवास योजना शुरू की जाती है, तो दो बच्चों के मानदंड को पेश किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि “धीरे-धीरे बाद के चरणों में, प्रत्येक राज्य सरकार की योजना में जनसंख्या मानदंड आ जाएगा।”
संसद में भी उठ चुका मुद्दा:
उधर जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता पर संसद में भी कई बार दो बच्चों की नीति का मुद्दा उठाया गया है। सितम्बर 2020 में राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा था कि 1951 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 36 करोड़ थी, 2011 तक यह बढ़कर 121 करोड़ हो गई और 2025 तक यह 150 करोड़ होने की उम्मीद थी। उन्होंने जनसंख्या विस्फोट को बेरोजगारी, भोजन की कमी, कुपोषण, गरीबी, कृषि संकट और पानी की कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा था “हमारे पास पीने के लिए पानी नहीं होगा। वर्तमान में प्रत्येक भारतीय के पास 1,525 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है, 2025 तक यह घटकर 1,060 रह जाएगा। देश के ‘सुनहरे भविष्य’ के लिए, जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक मजबूत कानून लाने के लिए राजनीतिक, धार्मिक और जातिवादी मतभेदों से ऊपर उठना आवश्यक था। और कठोर दो-बच्चों की नीति होनी चाहिए।”