नई दिल्ली: केरल विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केरल में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया जाएगा।
हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को सभी समुदायों को विश्वास में लेने के बाद ही लागू किया जाएगा। उन्होंने राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान यह टिप्पणी की।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी अपने निर्णय पर अडिग है, सभी समुदायों को विश्वास में लेने के बाद ही इस मामले को आगे बढ़ाया जाएगा। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में उल्लेख किया है कि वह यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की योजना बनाएगी।
CJI ने भी छेड़ा UCC का मुद्दा:
यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक हफ्ते के भीतर दो बड़ी हस्तियों का बयान आ चुका है। ज्ञात हो बीते शनिवार को ही गोवा में नए बॉम्बे उच्च न्यायालय भवन के उद्घाटन समारोह में संबोधित करते हुए सीजेआई बोबड़े ने शिक्षाविदों से कहा कि वो देखें कि गोवावासी उनके धर्म के बावजूद शादी और उत्तराधिकार के मुद्दों पर यूनिफॉर्म सिविल कोड कैसे काम करता है।
CJI ने कहा कि गोवा में न्याय प्रशासन की विरासत, जो कि साढ़े चार शताब्दियों तक फैली हुई है, को स्वीकार किया जाना चाहिए। “गोवा में भारत के लिए संविधान के नियमों की परिकल्पना की गई है – एक समान नागरिक संहिता। और मुझे उस कोड के तहत न्याय प्रदान करने का महान विशेषाधिकार मिला है।”
आगे उन्होंने कहा कि मैंने यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में बहुत सारी अकादमिक बातें सुनी हैं। मैं सभी बुद्धिजीवियों से अनुरोध करूंगा। यहां आने के लिए और यह देखने के लिए न्याय प्रणाली देखें कि यह क्या होता है।
राष्ट्रपति ने भी UCC को बताया गौरव का विषय:
यूनिफॉर्म सिविल कोड की तारीफ केवल CJI ने ही नहीं की है बल्कि इसके पहले राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी गोवा राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने को गौरव का विषय बताया था।
राष्ट्रपति 19 दिसंबर कोविंद गोवा मुक्ति दिवस समारोह में भाग ले रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि “गोवा की मुक्ति का संघर्ष केवल नागरिक स्वतंत्रता के लिए नहीं था। वह, भारत के साथ फिर से एकाकार होने की चिर-संचित अभिलाषा की पूर्ति का संघर्ष भी था। महात्मा गांधी कहा करते थे कि कश्मीर या किसी अन्य राज्य की तरह गोवा भी भारत का अंग है। भारत की एकता और अखंडता पर उन्हें अटूट विश्वास था। गांधीजी की तरह, डॉक्टर लोहिया का भी यही मानना था कि गोमांतक क्षेत्र भारत का हिस्सा है।”