लखनऊ (UP): ब्राह्मण राजनीति को लेकर अब मायावती ने फिर नए दांव चल दिए हैं।
सालों दूर यूपी चुनाव में ब्राह्मण वोटबैंक के लिए यूपी के विपक्षी दलों ने नए नए दांव पेंच खेलने शुरू कर दिए हैं। कोई अपनी भूल चूक बता रहा है तो कोई चीजों को गलत ठहराने में लगा है। इसी क्रम में बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज भाजपा पर कई आरोप लगाए।
मायावती ने भाजपा के रामराज्य को लेकर नसीहतें देनी शुरू की। उन्होंने कहा कि “बीजेपी द्वारा केवल रामराज्य की बात करने से यूपी की गरीब जनता का विकास व उत्थान आदि होने वाला नहीं है और न ही उन्हें जुल्म-ज्यादती से निजात ही मिलने वाला है बल्कि श्रीराम के उच्च आदर्शों पर चलकर सरकार चलाने से ही यह सब सम्भव हो सकता है, जिसपर यह सरकार चलती हुई नजर नहीं आ रही है।”
आगे उन्होंने भाजपा को ब्राह्मण विरोधी करार करते हुए कहा कि “खासकर ब्राह्मण समाज के प्रति बीजेपी की जातिवादी कार्यशैली से दुःखी होकर अब इस पार्टी से अलग होकर व बीएसपी में जुड़ते हुये देखकर इन्हें यह कह रहे हैं कि तिलक, तराजू की बात करने वाले अब परशुराम की बात कर रहे हैं। लेकिन यह समाज काफी बुद्धिमान है। इनके बहकावे में नहीं आयेगा।”
इसके बाद मायावती ने ब्राह्मण समाज के खिलाफ़ बनाए गए नारे तिलक तराजू पर भी सफाई दे डाली।उन्होंने कहा कि “जबकि जग-जाहिर तौर पर तिलक, तराजू आदि की बात बीएसपी ने कभी नहीं कही और ना ही बाबरी मस्जिद के स्थान पर कभी शौचालय बनाने की भी बात कही है। ये सब घृणित आरोप विरोधियों नेे केवल बीएसपी को नुकसान पहुँचाने के लिए इन्हें जबरन हमारी पार्टी से जोड़ दिया है, जो अति-निन्दनीय।”
अंत में मायावती ने अपने कार्यकाल में ब्राह्मणों के समुचित प्रतिनिधित्व देने जाने का दावा भी किया। उन्होंने कहा कि “यदि इस आरोप में थोड़ी भी सत्यता होती तो फिर बीएसपी अपनी पिछली सरकार में खासकर ब्राह्मण समाज के विधायकों को बड़ी संख्या में मन्त्री व अन्य उच्च पदों पर क्यों रखती ? वैसे यह समाज सब कुछ जानता है। वे बिल्कुल गुमराह नहीं होंगे। पार्टी को इनपर पूरा भरोसा।”
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