‘लालू के मास्टर, असिस्टेंट, शादी कराने वाले सब ब्राह्मण, फिर भी उन्हें ब्राह्मण से खतरा? एंकर चित्रा त्रिपाठी

नईदिल्ली : एंकर चित्रा त्रिपाठी नें लालू यादव को ब्राह्मणों से नफ़रत पर तीखा सवाल खड़ा किया है।

RJD नेता चित्रा त्रिपाठी को ब्राह्मण-ब्राह्मणवाद का फ़र्क समझा रहे थे उन्होंने कहा कि ये लोगों के द्वारा बनाई गई परिभाषा है |

बिहार के राजनैतिक गलियारे में अपने अस्तित्व की गलियाँ ढूढ़ रही RJD की पार्टी अपने नेताओं के बयानों से ऐसा लगातार प्रयास कर रही है कि वो तथाकथित सवर्ण जाति के लिए उनकी पार्टी नहीं है |

और न ही उन्हें इस समाज का वोट चाहिए यही कारण है कि पार्टी के कई नेता सवर्णों ख़ासकर ब्राह्मणों पर जातिवादी टिप्पणियां करने में कतई नहीं चूकते | संसद में वो ही एक अकेली पार्टी थी जिसने सवर्ण आरक्षण का विरोध किया था |

इधर RJD नें एक खबर “सवर्णों को क्यों पसंद आने लगी बीजेपी ?” के सहारे भाजपा और सवर्ण पर हमला बोलते हुए कहा कि “सवर्ण भाजपा को क्यों वोट देता है?

इस बिन्दु पर आखिर मीडिया, विश्लेषक और बुद्धिजीवी वर्ग क्यों चुप रहता है और सिर्फ दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों के वोटिंग पैटर्न को ही विश्लेषण का केंद्र क्यो बनाते हैं ? उच्च जातियों का विश्लेषण क्यों नहीं ?”

इस प्रश्न का जवाब लालू यादव की ही किताब से चित्रा त्रिपाठी नें अपने अंदाज में ही दिया और ऐसे उदाहरण दिए जिनमें पता चलता है कि लालू की राजनैतिक सफलता के पीछे हमेशा किसी न किसी ब्राह्मण का हाथ रहा है |

चित्रा नें तेजस्वी यादव को जवाब देते हुए कहा कि सूर्यबली मिश्रा- लालूप्रसाद यादव के शिक्षक,जिन्होंने अक्षर सिखाया, नागेन्द्र तिवारी-लालू की सहायता तब की जब वो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कदम रख रहे थे | ब्राह्मण पुजारी-जिन्होने लालू-राबड़ी का रिश्ता करवाया | ब्राह्मणों के बारे में लालू जी से बेहतर कौन बता पायेगा |”

हालांकि RJD नेता तेजस्वी यादव के राजनैतिक सलाहकार संजय यादव नें चित्रा को हमेशा की तरह ब्राह्मणवाद राग अलाप पर ज्ञान देना चाहा और कहा कि “चित्रा जी, लेख का उद्देश्य समझिए।

क्या इसमें वर्णित तथ्यों को एकदम सिरे से ख़ारिज किया जा सकता है ? इसमें किसी जाति विशेष का ज़िक्र नहीं है। और हाँ, आप जिन उदाहरणों को बता रही है उन्हें सबको लालू जी ने अपनी किताब के ज़रिए ही बताया है। ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद के फ़र्क़ को समझिए ।”

चित्रा त्रिपाठी नें उनके इस राग अलाप को बेहद ही कम शब्दों में जवाब देकर बोलती बंद करा दी | उन्होंने कहा कि “गांधी और गांधीवाद में जो फर्क है,वही ब्राह्मण-ब्राहमणवाद में है |

लोगों ने समय/परिस्थिति/काल के हिसाब से उसे परिभाषित करने का काम किया | वैसे हमें जाति की बाधाओं को तोड़ने की बात करनी चाहिये, लोगों को जोड़ने की बात करनी चाहिये | आज के वक्त की यही मांग है, वर्गभेद-छूआछूत-असमानता खत्म हो |”

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