अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के लोधा थाना इलाके के बड़ौला हाजी गांव में कुत्ते को भौंकने को लेकर झगड़ा इतना बढ़ा कि जातीय संघर्ष में तब्दील हो गया। ईंट पत्थर, गाली और गोली तक पहुंचे इस संघर्ष में भी मीडिया ने दलित बनाम सवर्ण देख अपना फर्जी खबरे परोसने का कार्य भी जारी रखा। सभी बड़े मीडिया संस्थानों ने खबर को तोड़ मरोड़ कर दिखाते हुए पूरा आरोप आँख मूँद एक पक्ष पर मढ़ दिया।
दरअसल घटना एक कुत्ते के भौकने से शुरू हुई जोकि खूनी संघर्ष में जा बदली। यही नहीं मामले को तूल देने के लिए अंबेडकर तक की मूर्ति तक तोड़ दी गई। मामला 16 जनवरी की सुबह का है जहां लोधा थाना क्षेत्र के बड़ौला हाजी गांव निवासी रिषभ प्रताप सिंह पुत्र गुड्डू सिंह सुबह अपने कुत्ते को जंजीर में बांधकर घुमाने ले गया था और गांव के ही एक पुल से वापस लौट रहा था। तभी उधर से आ रहे वीरू पुत्र पप्पू सिंह (जाटव) को देखकर कुत्ता भौंका तो वीरू ने कुत्ते को ईंट फेक कर मार दिया। इस पर रिषभ ने ये कहकर विरोध किया कि जब मैंने इसे जंजीर से पकड़ रखा है तो तुमने ईंट क्यों मारी। इसी बात को लेकर दोनों मे कहासुनी हो गई। बस इतनी सी बात पर जाटव समाज के दर्जन भर लोग लड़के के घर में कट्टा व लाठी डंडो से लेस होकर कूद पड़े।
आरोपियों ने भीड़ के साथ रिषभ के घर पर हमला बोल दिया
वीरू और रिषभ के बीच कहासुनी के बाद वीरू ने घर जाकर रिषभ से मारपीट की बात कही तो दलित पक्ष के लोग भीड़ के साथ रिषभ के घर पर पहुंच गए। जिसके बाद आरोपियों ने ठाकुर पक्ष के लड़के ऋषभ पर गोली चला दी। ठाकुर पक्ष के घर पर तीन गोलिया चलाई गयी थी। वहीं लाठी डंडो से मारपीट भी की गई। आरोप है कि इसी बीच दलित पक्ष ने ऋषभ के घर में जमकर पत्थरबाजी भी करी थी जिसकी सुचना तुरंत ठाकुर पक्ष ने 112 पर फ़ोन कर दी थी।
दलित वर्ग के भीड़ के हमले में माँ बेटे घायल
वीरू के परिवार जन दलित वर्ग की भीड़ के साथ हथियार से लैस होकर रिषभ प्रताप सिंह के घर पर हमला बोल दिया। दलित भीड़ की तरफ से गोली भी चलाई गई जिसमे रिषभ किसी तरह बाल बाल बच गया और उसकी दो बहने डर के मारे घर में छिप गई जबकि माँ गीता सिंह को पत्थर से चोट लगने के कारण हाथ में फ्रेक्चर हो गया।
तत्काल सहायता के लिए 112 नंबर लगाया मगर तहरीर एक दिन बाद लिखी गई
पीड़ित रिषभ के घर पर तीन गोलियां लगने के बाद दहशत मे रिषभ ने 112 नंबर को फोन करके सहायता मांगी और थाने में 16 तारीख को ही तहरीर दी। लेकिन पुलिस ने एफआईआर को एक दिन बाद 17 जनवरी को दर्ज किया। जबकि दलित वर्ग के बाद में तहरीर देने के बावजूद उनकी एफ आई आर 16 जनवरी को ही दर्ज कर ली गई थी।
आंबेडकर की मूर्ति दलित पक्ष ने तोड़ी आरोप मढ़ा ठाकुर पक्ष पर, जांच से मालूम पड़ी सच्चाई
घटना के बाद आंबेडकर की मूर्ति भी तोड़ी गई थी। जोकि आंबेडकर पार्क में स्थित है। दलित पक्ष व मीडिया ने मूर्ति तोड़ने का आरोप ठाकुर पक्ष पर मढ़ा था। वहीं जांच कर हमें मालूम पड़ा कि जिस समय आंबेडकर की मूर्ति तोड़ने का दावा किया जा रहा है उस समय ठाकुर पक्ष थाने में तहरीर दे रहा था। जिसकी पुष्टि थानाधिकारी ने भी करी है। इलाके लोगो से बातचीत में सामने आया कि दलित पक्ष के लोगो ने इसे राजनितिक रंग देने के लिए खुद आंबेडकर का एक हाथ क्षतिग्रस्त कर दिया था।
फायरिंग करने के बाद परिवार पर लगाया गया एससी एसटी एक्ट
मौके पर फायरिंग कर दहसत फ़ैलाने के बाद दलित पक्ष ने जमकर पत्थरबाजी भी करी। जिसके बाद मामले को तूल देने के लिए आंबेडकर की मूर्ति को भी तोड़ दिया गया। हालाँकि मूर्ति टूटे जाने के समय ठाकुर पक्ष थाने में मौजूद था। फ़िलहाल कुत्ते भौकने से शुरू हुए प्रकरण में दलित पक्ष ने पीड़ित परिवार पर एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया है।
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