हैदराबाद: के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अनुसूचित जातियों (SC) के लिए आरक्षण को तीन भागों में विभाजित करने का ऐलान किया है। इस फैसले का आधार नवंबर 2024 में गठित न्यायिक आयोग की सिफारिशें हैं। आयोग की अध्यक्षता सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश जस्टिस शमीम अख्तर ने की थी।
एससी आरक्षण के तीन समूह
न्यायिक आयोग ने राज्य की 59 अनुसूचित जातियों को तीन श्रेणियों में बांटने की सिफारिश की है। मदिगा समुदाय को ग्रुप 2 में रखा गया है, जिसमें कुल 18 जातियां शामिल हैं। इस समूह को 9% आरक्षण देने की सिफारिश की गई है। माला और 25 अन्य जातियों को ग्रुप 3 में रखा गया है, जिन्हें 5% आरक्षण मिलेगा। वहीं, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से सबसे पिछड़ी 15 जातियों को ग्रुप 1 में रखा गया है, जिन्हें 1% आरक्षण मिलेगा।
नौकरी और शिक्षा में वरीयता का नया मॉडल
सरकार ने आयोग की उस सिफारिश को भी स्वीकार किया है, जिसमें नौकरियों और शिक्षा में सीटें भरने के लिए एक वरीयता मॉडल लागू करने की बात कही गई है। इसके तहत यदि ग्रुप 1 की सीटें खाली रह जाती हैं, तो वे ग्रुप 2 से भरी जाएंगी और यदि ग्रुप 2 में भी उम्मीदवार नहीं मिलते, तो ग्रुप 3 के अभ्यर्थियों को मौका मिलेगा। अगर सभी समूहों में योग्य उम्मीदवार नहीं मिलते, तो सीटों को अगले वर्ष के लिए सुरक्षित रखा जाएगा।
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मदिगा समुदाय की वर्षों से चली आ रही मांग
तेलुगु राज्यों में माला और मदिगा समुदाय दो प्रमुख अनुसूचित जातियों में आते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, मदिगा समुदाय राज्य की एससी आबादी का 62% है, लेकिन सामाजिक और आर्थिक रूप से वे पिछड़े हुए हैं। इस वजह से वे लंबे समय से उप-वर्गीकरण की मांग कर रहे थे, क्योंकि उनका मानना था कि माला समुदाय ने एससी आरक्षण का अधिक लाभ उठाया है।
कांग्रेस के वादे और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने विधानसभा में सवाल उठाया कि जब 2024 में नया जातिगत सर्वे हुआ था, तो फिर 2011 की जनगणना के आंकड़ों का उपयोग क्यों किया गया? उन्होंने यह भी पूछा कि कांग्रेस सरकार ने चुनावी घोषणापत्र में चार श्रेणियों में विभाजन और एससी आरक्षण को 18% करने का वादा किया था, लेकिन अब सिर्फ तीन श्रेणियां क्यों बनाई गईं? कांग्रेस विधायक विवेक वेंकटस्वामी, जो माला समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने भी एससी आरक्षण को 18% तक बढ़ाने की मांग की।
क्रीमी लेयर पर सरकार ने ठुकराई सिफारिश
न्यायिक आयोग ने अनुसूचित जातियों में भी क्रीमी लेयर लागू करने की सिफारिश की थी। इसके तहत विधायक, सांसद, जिला परिषद अध्यक्ष, महापौर और ग्रुप 1 सरकारी सेवाओं में कार्यरत लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर करने की बात कही गई थी। हालांकि, राज्य सरकार ने इस सिफारिश को खारिज कर दिया है।
तेलंगाना पहला राज्य बना, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने वाला
अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने एससी श्रेणी के भीतर उप-वर्गीकरण को अनुमति देते हुए फैसला सुनाया था कि एससी समूह के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों को अलग से कोटा दिया जा सकता है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि उनकी सरकार इस फैसले को लागू करने वाली देश की पहली सरकार होगी और यदि आवश्यक हुआ, तो सरकार एक अध्यादेश लाकर इसे तत्काल प्रभाव से लागू करेगी।
आयोग की रिपोर्ट और डेटा संग्रह
जस्टिस शमीम अख्तर आयोग ने 3 फरवरी 2025 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी, जिसे 4 फरवरी को कैबिनेट के सामने रखा गया। आयोग ने दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा किया और 1,082 याचिकाएं प्राप्त कीं। इस दौरान आयोग ने एससी समुदाय की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षिक स्थिति का विश्लेषण किया। इसके अलावा, सरकारी विभागों, अनुदान प्राप्त संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से एससी उप-जातियों की जनसंख्या, साक्षरता, रोजगार, शिक्षा, सरकारी नौकरी में भागीदारी और वित्तीय सहायता से जुड़ा डेटा भी इकट्ठा किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लड़ाई तीन दशकों से चली आ रही थी और अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सरकार ने इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने का फैसला किया है।