सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिले में एक दलित प्रधान पति के तालिबानी फैसले को सुन सभी की रूह काँप रही है। मामला जिले के रीगा प्रथंम पंचायत का है जहां 14 दिसंबर को दलित प्रधानपति विन्देश्वर पासवान ने एक मानसिक रूप से विक्षिप्त ऊँची जाति के युवक को 200 डंडे मारने का तालिबानी फरमान सुना डाला। जिसके बाद उसको भरी सभा में 200 डंडे मारे गए। युवक को 200 डंडे मारने से भी जब मन नहीं भरा तो प्रधान पति ने युवक पर एससी एसटी का मुकदमा कायम करवा दिया।
मामले पर ग्रामीणों ने हमें बताया कि आरोपी प्रधान एक ज़मीन विवाद के मसले पर समझौता कराने गए थे। जहां विक्षिप्त युवक सुशील शाह ने उन्हें किसी बात पर थप्पड़ जड़ दिया था। जिसके बाद प्रधान ने उसको 200 डंडे मारने का फरमान जारी किया। सजा को पूरा करने के दौरान प्रधान पति के पुत्र सूरज द्वारा भी ताबड़तोड़ डंडे युवक पर बरसाए गए थे। युवक को 200 डंडे मारने के दौरान युवक की चीखे सुन कोई भी उसकी मदद को आगे नहीं आया। क्यूंकि मामला दबंग प्रधान से जुड़ा था।
आपको बता दें कि डंडे मारने के बाद युवक मरणासन्न की स्थिति में पहुंच गया। जिसके बाद उसकी बिगड़ती हालत देख उसे इलाज के लिए स्थानीय पीएचसी मे भर्ती कराया गया। जहां उसकी हालत गंभीर होते देख उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। अस्पताल में अभी भी युवक की हालत नाजुक बनी हुई है।
प्रधान पति ने दर्ज कराया एससी एसटी एक्ट
200 डंडे के तालिबानी फरमान से भी जब प्रधान का मन नहीं भरा तो उन्होंने मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक पर एससी एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज करा दिया। जिसको लेकर स्थानीय लोगो ने रीगा थाना को घेर कर भारी विरोध प्रदर्शन भी किया। घटना से गुस्साये लोगों ने रीगा थाना के इमली बाजार को जाम कर दिया और बीमार युवक को रास्ते पर रखकर प्रदर्शन करने लगे। साथ ही ग्रामीणों ने रीगा थानाध्यक्ष को सस्पेंड करने की भी मांग करी है।
थानाध्यक्ष ने कहा एससी एसटी एक्ट विवेचना के बाद किया जायेगा रद्द
रीगा थानाध्यक्ष ने हमें बातचीत में बताया कि युवक की हालत गंभीर है व अभी अस्पताल में भर्ती है। एससी एसटी एक्ट पर सवाल पूछने पर उन्होंने कहा कि जाँच के बाद एससी एसटी एक्ट को हटा दिया जायेगा। प्रधानपति को गिरफ्तार करने के प्रश्न पर महोदय टाल मटोल कर अपना पल्ला झाड़ते ही दिखे। हालाँकि उन्होंने भी माना कि युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त है।
वहीं पीड़ित युवक की मां राधिका देवी ने पुलिस पर दलित प्रधान की दबंगई की वजह से मामले पर गिरफ़्तारी न करने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि पीड़ित युवक पर ही एससी एसटी एक्ट का मामला दर्ज कर लिया गया है।
मामले पर ग्रामीणों का गुस्सा फूटा तो थानाध्यक्ष ने प्राथमिकी दर्ज तो कर ली लेकिन प्रधान पति को थाने से ही जमानत देकर रिहा कर दिया गया। गाँव वाले मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक पर एससी एसटी एक्ट लगाने की पुलिस कार्यवाई पर हैरत कर रहे है।
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